Akshaya Tritiya 2025: कब है अक्षय तृतीया? नोट करें सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व माना गया है। इस पर्व को 'आखा तीज' के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।

By :  Desk
Updated On 2025-03-25 22:55:00 IST
अक्षय तृतीया पर किया गया दान, धर्म, स्नान, जप और हवन आदि का पुण्य समाप्त नहीं होता है।

Akshaya Tritiya 2025 Date, Shubh Muhurat, Puja Vidhi aur Mahatav: सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व माना गया है। इस पर्व को 'आखा तीज' के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया पर किया गया दान, धर्म, स्नान, जप और हवन आदि का पुण्य जीवनभर समाप्त नहीं होता है। किसी भी शुभ अथवा मांगलिक कार्य के लिए अक्षय तृतीया का दिन सबसे शुभ माना गया है। इस दिन सोना खरीदकर लाने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। जानते है तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व -

अक्षय तृतीया कब है?
(Akshaya Tritiya 2025 Date)

अक्षय तृतीया प्रतिवर्ष वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष यह तिथि 29 अप्रैल शाम 5 बजकर 29 मिनट से 30 अप्रैल दोपहर 2 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि को देखते हुए आखा तीज 30 अप्रैल 2025 को मनाई जायेगी। 

अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त
Akshaya Tritiya 2025 Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अप्रैल 2025 को सुबह 6 बजकर 7 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। वहीं, सोना खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त 29 अप्रैल सुबह 5 बजकर 33 मिनट से 30 अप्रैल रात 2 बजकर 50 मिनट तक का रहेगा। 

अक्षय तृतीया पूजा विधि 
(Akshaya Tritiya 2025 Puja Vidhi)

अक्षय तृतीया वाले दिन सुबह शीघ्र उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़ें पहनें। व्रत का संकल्प लेकर घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। पूजा में पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें। साथ ही विष्णु सहस्रनाम और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें। अंत में प्रसाद वितरित कर खुद ग्रहण करें। 

अक्षय तृतीया का महत्व 
(Akshaya Tritiya 2025 Significance)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम धरती पर अवतरित हुए थे। यही कारण है कि, इस दिन को भगवान परशुराम की जन्मतिथि के तौर पर मनाया जाता है। अक्षय तृतीया को सनातन धर्म शास्त्रों में एक अबूझ मुहूर्त बताया गया है, जिस दिन विवाह समेत अन्य कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है। अक्षय तृतीया को मां अन्नपूर्णा की जन्मतिथि और धरती पर मां गंगा के आगमन के रूप में भी मनाया जाता है। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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