सोवियत जासूस था नेताजी बोस का नायब! गोपनीय दस्तावेज में हुआ खुलासा

नाम्बियार भारतीय युद्धबंदियों को मिलाकर बने उस भारतीय सैन्य समूह से भी संबंधित थे जिसे 1944 में सोवियत संघ ने अपने साथ मिलाया था।

Updated On 2014-10-26 00:00:00 IST
सोवियत जासूस था नेताजी बोस का नायब! गोपनीय दस्तावेज में हुआ खुलासा
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 लंदन. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नायब और पंडित जवाहरलाल नेहरू के ‘पुराने दोस्त’ एसीएन नाम्बियार सोवियत संघ के जासूस थे। ब्रिटिश दस्तावेजों में यह दावा किया गया है।  ब्रिटेन के राष्ट्रीय अभिलेखागार के जो गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक किए गए हैं उनके अनुसार नाम्बियार 1924 में एक पत्रकार के रूप में बर्लिन गए थे और वहां भारतीय कम्युनिस्ट समूह के साथ मिलकर काम किया था। वह 1929 में सोवियत के ‘मेहमान’ के रूप में मॉस्को गए थे।

दस्तावेजों में कहा गया है कि द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू होने के बाद नाम्बियार को र्जमनी से निर्वासित कर दिया गया, लेकिन बाद में उन्हें बोस के नायब के तौर पर बर्लिन आने की मंजूरी दे दी गई। इसके बाद जब बोस जापान के साथ जुड़ने के लिए र्जमनी से सुदूर पूर्व गए तो नाम्बियार को यूरोप में आजाद हिंद फौज के वित्तीय नेता (र्जमन) की जिम्मेदारी सौंपी गई।

अभिलेखागार की ओर से जारी बयान के अनुसार नाम्बियार भारतीय युद्धबंदियों को मिलाकर बने उस भारतीय सैन्य समूह से भी संबंधित थे जिसे 1944 में सोवियत संघ ने अपने साथ मिलाया था। नाम्बियार को जून, 1945 में आस्ट्रिया में गिरफ्तार किया गया और नाजियों से सांठगांठ के तौर पर पूछताछ की गई थी। 

नीचे की स्लाइड्स में जानिए, पहले लग चुका था जासूसी का आरोप 
 
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