मिस्ड कॉल के बाद शुरू हुआ था जासूसी कांड

मिस्ड कॉल के बाद शुरू हुआ था जासूसी कांड
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यूपी में बीजेपी के चुनाव प्रभारी और गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह अब एक नए मामले में फंसते दिख रहे हैं।
अहमदाबाद. यूपी में बीजेपी के चुनाव प्रभारी और गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह अब एक नए मामले में फंसते दिख रहे हैं। आरोप है कि गुजरात का गृह राज्य मंत्री रहते हुए उन्होंने सन् 2009 में पुलिस अधिकारियों से अहमदाबाद में गैरकानूनी तरीके से बेंगलुरु की महिला आर्किटेक्ट की निगरानी करवाई थी। एक समाचार पत्र(मुंबई मिरर) के मुताबिक युवती की निगरानी कथित रूप से एक मिस्ड कॉल के बाद से शुरू हुई थी. यह मिस्ड कॉल गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह के साहब के पर्सनल नंबर पर आई थी। इसके बाद दो महीने तक युवती को अवैध रूप से सर्विलांस पर रखा गया।
न्यूज पोर्टल कोबरा पोस्ट और गुलेल के मुताबिक गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह ने 2009 में लड़की की निगरानी शुरू करवाई थी। शाह ने निगरानी साहब के इशारे पर शुरू करवाई थी। हालांकि साहब की पहचान गुप्त रखी गई है। समाचार पत्र के मुताबिक युवती की निगरानी के मामले में गुजरात के आठ पुलिस अधिकारी शामिल थे।
शाह के साहब ने युवती को अपना प्राइवेज मोबाइल नंबर भी दे रखा था। इस नंबर पर दिन में करीब 18 बार साहब की युवती से बात होती थी। साहब से युवती की मुलाकात 2005 में हुई थी. युवती ने भूकंप प्रभावित भुज में सरकारी पुनर्निर्माण की कोशिशों के तहत एक हिल गार्डन डिजाइन किया था। दोनों की मुलाकात भुज के तत्कालीन कलक्टर प्रदीप शर्मा ने करवाई थी।
मुलाकात के दौरान साहब ने युवती के काम से खुश होकर उसकी तारीफ की थी। बाद में साहब ने दूसरे शहर में अपने दफ्तर से भी युवती को कॉल किया। प्रोफेशनल तारीफ से शुरू हुआ रिश्ता कुछ ही हफ्तों में गहराता चला गया. बाद में साहब ने उसे अपना पर्सनल नंबर दिया. इस नंबर पर युवती कभी भी साहेब से बात कर सकती थी। दोनों के बीच कथित रूप से दिन में 18 बार बातचीत हुई थी।
युवती ने साहब से अपनी नजदीकी की कहानी प्रदीप शर्मा को बताई। उसने शर्मा को वे मैसेज भी दिखाए जो साहब ने अपने प्राइवेट नंबर से भेजे थे. शर्मा ने साहब के नंबर सेव कर लिए। साहब की कथित पजेसिवनेस के कारण दोनों के रिश्तों में दरार आ गई। साहब चाहते थे कि सार्वजनिक तौर पर यह दिखे कि वह युवती को बेटी की तरह मानते हैं। प्रदीप शर्मा को इसका पता चल गया। 2009 में एक दिन शर्मा ने साहब के प्राइवेट नंबर पर कॉल किया। कॉल का कोई जवाब नहीं मिला. पर्सनल नंबर पर कॉल आने से साहब को संदेह हुआ। साहब जानना चाहते थे कि कॉल किसने किया और उनके पर्सनल नंबर किसके पास हैं?
साहब ने कॉल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि कॉल शर्मा ने किया था। इस मिस्ड कॉल के बाद ही साहब और युवती के संबंधों का समीकरण बदल गया। शर्मा के नंबर को सर्विलांस पर रखा गया. जिससे पता चला कि शर्मा और युवती लगातार संपर्क में थे। समाचार पत्र ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इसी के बाद शाह ने युवती पर अवैध सर्विलांस रखने का आदेश दिया।
साहब युवती के बारे में सारी जानकारी चाहते थे। वह कहां जाती है,उसने क्या कहा है,उसने क्या किया है? खासतौर पर वह किनसे मिलती है? आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल इस सर्विलांस की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
हालांकि लड़की के पिता ने एक बयान में कहा है कि उनकी बेटी बेंगलूर में रहती थी और अहमदाबाद आई थी, क्योंकि उसकी मां की सर्जरी होनी थी। उसे अस्पताल और पास स्थित एक होटल के बीच किसी भी वक्त आना-जाना पड़ता था जो उनके लिए चिंता की वजह थी। इसलिए उन्होंने मौखिक रूप से मोदी से लड़की की देखभाल करने का अनुरोध किया था। उन्होंने मोदी के साथ अपने पुराने पारिवारिक रिश्ते बताये। इसके साथ ही लड़की के पिता ने हैरानी जताते हुए कहा कि कुछ निहित स्वार्थ वाले लोग इस संबंध में मीडिया से संपर्क साध रहे हैं।

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