यह सच है कि फिल्म इंडस्ट्री मेल डोमिनेटेड है: ऐश्वर्य देवन

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By - ??? ????? |10 July 2016 7:12 AM
ऐश्वर्य देवन फिल्म ‘मुजफ्फर नगर 2013’ से बॉलीवुड में एंट्री ले रही हैं।
मुंबई. साउथ की एक और नामचीन हीरोइन बॉलीवुड में कदम रख रही हैं- ऐश्वर्य देवन। मूल रूप से मलयालम भाषी ऐश्वर्य अब तक साउथ में मलयालम, कन्नड़ और तमिल की आठ फिल्में कर चुकी हैं। इन सभी फिल्मों में उनकी एक्टिंग की काफी तारीफ हुई है। अब वो फिल्म ‘मुजफ्फर नगर 2013’ से बॉलीवुड में एंट्री ले रही हैं। फिल्म और अपने कैरेक्टर को लेकर ऐश्वर्य काफी उत्साहित हैं। वह फ्यूचर में और भी बेहतर हिंदी फिल्में करने की ख्वाहिश रखती हैं। बातचीत ऐश्वर्य देवन से।
‘मुजफ्फर नगर 2013’ एक रियलिस्टिक अप्रोच की फिल्म है। आपको नहीं लगता है कि आपने बॉलीवुड में प्योर कॉमर्शियल फिल्म से एंट्री करनी चाहिए थी?
मुझे तो लगता है कि इस फिल्म के जरिए मैंने बॉलीवुड में बहुत अच्छी एंट्री ली है। मुझे काफी स्ट्रॉन्ग सीन मिले हैं। आज हर एक्ट्रेस अपने आपको साबित करने के लिए चैलेंजिंग कैरेक्टर्स की तलाश में रहती है। सच कहूं तो मुझे भी बॉलीवुड में एंट्री के लिए ऐसे ही रोल की तलाश थी।
इस फिल्म में काम करने से पहले आप मुजफ्फर नगर के दंगों के बारे में कितना जानती थीं। इस फिल्म में आपका सारा खान का रोल कितना चैलेंजिंग है?
मैं फिल्म में काम करने से पहले इन दंगों के बारे में कुछ भी नहीं जानती थी। जब मैंने स्क्रिप्ट सुनी, तब पता चला कि वहां कितने भयानक दंगे हुए थे। लेकिन इसका ट्रीटमेंट ही कुछ ऐसा पॉजिटिव है कि निश्चित रूप से यह भाईचारा बढ़ाने वाली फिल्म साबित होगी। फिल्म में मेरा कैरेक्टर एक आईपीएस आॅफिसर का है, जिसका नाम सारा खान है। यह कैरेक्टर मेरे लिए बहुत चैलेंजिंग रहा। सारा काफी मजबूत इरादों वाली आॅफिसर है, लेकिन उसके सामने दंगों की कई विकट परिस्थितियां हैं। उसे हर फैसला काफी सोच-समझकर करना पड़ता है।
आपको यह फिल्म कैसे मिली और इस कैरेक्टर को प्ले करने के लिए आपने किसी रियल लाइफ आईपीएस आॅफिसर से टिप्स लीं?
मैंने इस फिल्म के लिए बाकायदा लुक टेस्ट दिया था। इस टेस्ट में कई रोमांटिक सीन भी करवाए गए थे। फिल्म में मेरा एक रोमांटिक एंगल भी है। हां, अपने रोल को रियलिस्टिक बनाने के लिए मैं आईपीएस ऑफिसर मंजिल सैनी से मिली थी। मैं जानना चाह रही थी कि रियल लाइफ आईपीएस कैसी होती हैं? मंजिल बहुत रौबीली आॅफिसर हैं। अपराधी उनसे काफी घबराते हैं। उनसे मिलकर मुझे काफी कॉन्फिडेंस मिला।
आईपीएस ऑफिसर का कैरेक्टर प्ले करते वक्त आपने सबसे ज्यादा किस बात का ख्याल रखा?
मैंने बोलने की स्टाइल का सबसे ज्यादा ख्याल रखा। यूं तो मैंने मलयालम फिल्मों से एक्टिंग की शुरुआत की थी, लेकिन मेरी हिंदी काफी अच्छी है।
केरल की होते हुए भी आपकी हिंदी कैसे अच्छी हो गई?
मैं बंैगलुरु में ही पली-बढ़ी हूं। वहां मेरे ज्यादातर दोस्त हिंदी भाषी ही थे। इसके अलावा मैं बचपन से ही हिंदी फिल्में देखने की शौकीन रही हूं। हिंदी फिल्मों से भी मेरी हिंदी काफी इंप्रूव हुई है।
अपने बैकग्राउंड के बारे में कुछ बताइए?
मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूं। मैंने मॉडलिंग से अपने करियर की शुरुआत की थी, लेकिन मेरा कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं है। यह मेरा नसीब था कि मुझे हायर सेकेंडरी के बाद ही फिल्म का आॅफर मिल गया था। एक मलयालम भाषा के फिल्मकार ने फेसबुक पर मेरे फोटो देखे थे और मुझे हीरोइन बनने का आॅफर दे दिया। मैंने एक्टिंग की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है, लेकिन धनुष जैसे स्टार एक्टर के साथ तमिल फिल्म में काम करने का मौका मिला।
अब आपने बॉलीवुड में कदम रख दिए हैं। क्या अब आप साउथ में चुनिंदा फिल्में ही करेंगी?
हां, मैं दोनों इंडस्ट्री में एक बैलेंस बनाकर चलूंगी। वैसे मेरी तमन्ना बॉलीवुड की अच्छी फिल्में करने की है। इस समय मेरे हाथ में दो कन्नड़ फिल्में हैं। उन्हें पूरा करने के बाद मैं हिंदी फिल्मों में अपना फोकस करूंगी और अच्छे रोल पाने के लिए कोशिश शुरू कर दूंगी। मेरा विश्वास है कि कोशिश करने वाले की ख्वाहिशें एक दिन जरूर पूरी होती हैं। वैसे बॉलीवुड में भी हर शुक्रवार को एक नया चेहरा आ रहा है। इस तरह कॉम्पिटीशन भी बहुत ज्यादा है।
बॉलीवुड में आप किसकी फैन हैं?
मैं सलमान खान की बहुत बड़ी फैन हूं और बहुत पुरानी फैन हूं। मैंने उनकी एक-एक फिल्म दसियों बार देखी है। मेरी कोशिश रहती है कि मैं रिलीज होते ही सबसे पहले उनकी फिल्म देखूं। जब मैं बहुत छोटी थी, तब से उनकी फिल्में देख रही हूं।
हां, फिल्म इंडस्ट्री मेल डोमिनेटेड है
साउथ की फिल्में कर चुकीं ऐश्वर्य देवन अब बॉलीवुड में भी कदम रख चुकी हैं। शूटिंग के दौरान कभी उनको इस बात का अहसास हुआ कि फिल्म इंडस्ट्री मेल डोमिनेटेड इंडस्ट्री है? इस प्रश्न का जवाब वह बड़े बेबाक स्वर में देती हैं, ‘हां, यह सच है कि फिल्म इंडस्ट्री मेल डोमिनेटेड है, चाहे वह साउथ की फिल्म इंडस्ट्री हो या फिर बॉलीवुड, सब जगह हीरो की ही चलती है। लेकिन यह भी सच है कि दोनों जगह अब बदलाव आ रहा है। अब अलग तरह के गहराई वाले फी-मेल कैरेक्टर भी शुरू हो चुके हैं। परफॉर्मेंस ओरिएंटेड कैरेक्टर करने के बाद हीरो और हीरोइन का अंतर ज्यादा नहीं रह जाता है।’
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