फूलों की खेती से बदली किस्मत: किसान हर माह कर रहे लाखों की कमाई, पेरिस-लंदन तक महक

फूलों ने बदली किस्मत: किसान हर माह कमा रहे लाखों रुपए; पेरिस-लंदन तक एक्सपोर्ट
X

फूलों ने बदली किस्मत: किसान हर माह कमा रहे लाखों रुपए; पेरिस-लंदन तक एक्सपोर्ट 

मध्यप्रदेश में फूलों की खेती ने किसानों की किस्मत बदली। हर महीने लाखों की कमाई, पेरिस-लंदन तक फूलों का एक्सपोर्ट। जानें पूरी कहानी।

Flower cultivation: फूलों की खेती ने मध्यप्रदेश के किसानों की तकदीर बदल दी है। पहले गेहूं-चने की पारंपरिक खेती से साल भर में मुश्किल से गुज़ारा कर पाते थे, अब वे गुलाब-गेंदा, रजनीगंधा और जरबेरा जैसे सुगंधित फूलों की खेती कर हर माह लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। खास बात यह है कि इनके फूलों की खुशबू अब पेरिस, लंदन और दुबई तक फैल रही है।

बैतूल के किसान की विदेश तक पहचान

बैतूल जिले के किसान राकेश पटेल पहले गेहूं और चने की पारंपरिक खेती करते थे। 2020 में उन्होंने फूलों का उत्पादन शुरू किया। आज उनके गुलाब और जरबेरा फ्रांस और यूके तक निर्यात हो रहे हैं। राकेश ने बताया कि हर महीने वह 3 से 5 लाख रुपए तक कमाई कर लेते हैं। जबकि, पहले सालभर में इतनी आय उन्हें नहीं मिल पाती थी।

महिला किसान भी हो रहीं आत्मनिर्भर

इंदौर की सीमा दुबे ने केवल 1 एकड़ में गेंदा और गुलाब की खेती शुरू की और अब 12 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। सीमा बताती हैं, फूलों की खेती सिर्फ खेती नहीं, आत्मनिर्भरता का रास्ता है।

भोपाल की लक्ष्मीबाई को हर माह 4 लाख कमाई

कम जोत वाले किसान भी अब फूलों की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं। भोपाल की बरखेड़ा बोदर ग्राम पंचायत निवासी लक्ष्मीबाई कुशवाह गेहूं और धान की परंपरागत खेती छोड़कर गुलाब, जरबेरा और गेंदा के फूल उगा रही हैं। उन्होंने बताया कि फूलों की खेती से वह हर महीने तीन से चार लाख की कमाई कर लेती हैं। फूलों की खेती का यह प्रयोग ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे रहा है।

कम लागत, ज्यादा मुनाफा

जरबेरा और रजनीगंधा जैसे फूलों की फसलें प्रति एकड़ सिर्फ 50-70 हजार की लागत में तैयार हो जाती हैं। एक बार लगाने के बाद फूलों की कटाई महीनों तक होती रहती है। स्थानीय मंडियों के अलावा दिल्ली, मुंबई और कोलकाता की फूल मंडियों में बिक्री होती है।

फूलों का विदेशों तक एक्सपोर्ट

राज्य सरकार के फ्लोरीकल्चर एक्सपोर्ट स्कीम के चलते अब किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़ने में मदद मिल रही है। भोपाल, इंदौर और जबलपुर से सीधे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फूलों की शिपमेंट हो रही है।

राज्य उद्यानिकी विभाग के अनुसार, पिछले 3 वर्षों में फ्लोरीकल्चर से जुड़े किसानों की संख्या में 300% वृद्धि हुई है। 2022 में जहां केवल 1,200 किसान फूलों की खेती कर रहे थे, वहीं 2025 में यह संख्या 5,000 के पार हो गई है।

सरकार से सब्सिडी और ट्रेनिंग

मध्य प्रदेश में उद्यानिकी विभाग फूलों की खेती पर 40-60% तक सब्सिडी देता है। साथ ही किसानों को फूलों की खेती, सिंचाई तकनीक और पैकेजिंग पर ट्रेनिंग भी दी जाती है। फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत 2026 तक 10,000 एकड़ में फूलों की खेती का लक्ष्य रखा गया है।

कौन-कौन से फूल होते हैं उत्पादित

मध्यप्रदेश में गेंदा सबसे अधिक बोया जाने वाला फूल है, जिसकी खेती 24,214 हेक्टेयर में होती है। इसके बाद गुलाब (4,502 हेक्टेयर), सेवन्ती (1,709 हेक्टेयर), ग्लेड्यूलस (1,058 हेक्टेयर) और रजनीगंधा (263 हेक्टेयर) प्रमुख हैं। इसके अलावा 11,227 हेक्टेयर में अन्य फूलों की खेती भी की जा रही है। प्रदेश की औसत फूल उत्पादकता 15.01 मैट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है, जो देश में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।

अनुकूल जलवायु और सरकारी समर्थन बना ताकत

मध्यप्रदेश की जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता और सिंचाई सुविधाएं फूलों की खेती के लिए बेहद अनुकूल हैं। उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग भी हर संभव मदद करता है। किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण, गुणवत्ता बढ़ाने और मार्केटिंग में सहयोग दिया जाता है। ग्वालियर में 13 करोड़ रुपए की लागत से हाईटेक फ्लोरीकल्चर नर्सरी भी विकसित की जा रही है, जो पूरे राज्य में फूलों की खेती को और मजबूत आधार देगी।

फूलों की खेती से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिला बूस्ट

मध्य प्रदेश में उद्यानिकी फसलों का विस्तार तेजी से हो रहा है। 2024-25 में फूलों की खेती का रकबा 14,438 हेक्टेयर बढ़ गया। इससे फूलों की खेती में 5,329 हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। यह स्पष्ट संकेत है कि फूलों की खेती अब लाभ का सौदा बन चुकी है।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story