योजनाएं कौन बनाएगा

रेल का यात्री किराया और माल भाड़ा, बजट से पहले ही बढ़ाने पर देश भर में तल्ख प्रतिक्रिया है और आम आदमी ठगा-सा महसूस कर रहा है। बेशक यात्रियों को सब्सिडी देने के कारण रेलवे करीब 26,000 करोड़ रुपये का सालाना घाटा झेल रहा है। बीते कई सालों से दुर्घटनाग्रस्त डिब्बों की ही मरम्मत करके उन्हें इस्तेमाल किया जा रहा है। रेल किराया बढ़ाने के बावजूद घाटा करीब 20,000 करोड़ रहा है। चूंकि भारतीय रेल पूरी तरह एक वाणिज्यिक गतिविधि है, लिहाजा उसके आर्थिक संतुलन की चिंता करना और उसे दुरुस्त करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए लेकिन रेल किराया बढ़ने से चौतरफा महंगाई बढ़ेगी। नतीजतन मोदी सरकार के प्रति असंतोष और आक्रोश के आसार पुख्ता हो सकते हैं। मोदी सरकार ने यह फैसला लेने का जोखिम ही क्यों लिया?
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