प्रधानमंत्री ही तय करें कि दागियों को कैबिनेट में जगह मिले या नहीं: सुप्रीम कोर्ट

प्रधानमंत्री ही तय करें कि दागियों को कैबिनेट में जगह मिले या नहीं: सुप्रीम कोर्ट
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जल संसाधन मंत्री उमा भारती पर कुल 13 केस दर्ज हैं। इनमें छह दंगों से जुड़े और दो हत्या से संबंधित हैं।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुद्धवार को अपने एक फैसला में कहा है कि वह आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को मंत्री पद से रोकने का कोई निर्देश जारी नहीं कर सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मंत्री पद पर नियुक्ति करना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार होता है। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि दागी नेताओं को मंत्री नहीं बनाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्रियों के लिए भी कोर्ट ने यही बात कही है। यह फैसला इस लिहाज से अहम है कि मोदी सरकार में 14 मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। जल संसाधन मंत्री उमा भारती पर कुल 13 केस दर्ज हैं। इनमें छह दंगों से जुड़े और दो हत्या से संबंधित हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार और अनैतिक कृत्यों में लिप्त तथा कानून का उल्लंघन करने वालों को मंत्रियों के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि संविधान प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों में गहरा विश्वास रखता है और उनसे उम्मीद करता है कि वे जिम्मेदारी के साथ और संवैधानिक आचरण के अनुरूप व्यवहार करेंगे। यह ममला रिव्यू पिटिशन के बाद संविधान पीठ को सौंप दी है।

याचिकाकर्ता मनोज नरूला ने जनहित याचिका दाखिल कर कैबिनेट से दागी मंत्रियों को हटाने की मांग की थी, जिसे 2004 में कोर्ट ने खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता ने पुनर्विचार याचिका दायर की तो कोर्ट ने मामले को संवैधानिक बेंच भेज दिया था। प्रसिद्ध वकील के टी एस तुलसी ने कहा कि यह फैसला स्वागत के योग्य है। इससे प्रधानमंत्री का दायित्व बढ़ेगा। अदालत का फैसला संविधान के मुताबिक आया है।

नीचे की स्लाइड्स में जानिए, आखिर क्या है पूरा मामला -
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