जानिए, लाश जलाने के बाद श्‍मशान से लाैटते समय क्‍यों नहीं देखा जाता है मुड़कर

जानिए, लाश जलाने के बाद श्‍मशान से लाैटते समय क्‍यों नहीं देखा जाता है मुड़कर
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कर्मों के काराण भटकती आत्‍मा फिर से शरीर की तलाश करने लगती है और मौका मिलते ही किसी के शरीर में भी प्रवेश कर जाती है।
नई दिल्‍ली. हिंदू धर्म में मान्‍यता है कि शव के दाह संस्‍कार के बाद लौटते समय पीछे मुड़ कर नहीं देखना चाहिए। श्‍वशान में शव को जलाकर लौटते हुए हम ऐसा ही करते हैं लेकिन इसके हम आपको बताएंगे कि पीछे मुड़ कर न देखन के पीछे क्‍या धार्मिक कारण हैं। पुराणों में बताया गया बताया गया है कि मृत्‍यू कके बाद भी कुछ लोगों को उनके कर्मों के काराण मुक्ति नहीं मिलती और अपने कर्मों के कारण उनकी आत्‍म भटकती रहती है। हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में अंतिम संस्कार है दाह संस्कार। इस संस्कार में धरती पर अपने जीवन काल को पूरा करने लेने के बाद जब व्यक्ति की आत्मा शरीर को त्यागकर वापस अन्य शरीर में प्रवेश के लिए चली जाती है।
इसके बाद मृत शरीर का अंतिम संस्कार किया जाता है। हिंदू धर्म की मान्‍यताओं के अनुसार अंतिम संस्कार में वेद मंत्रों के साथ शव को अग्नि के हवाले कर दिया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि अग्नि में भष्म होने के बाद शरीर जिन पंच तत्वों से बना है उन पंच तत्वों में जाकर वापस मिल जाता है। लेकिन आत्मा को अग्नि जला नहीं सकती है इसिलए आत्मा का अस्तित्व देह के जल जाने के बाद भी मौजूद होता है और वह मृत्यु से लेकर मृतक संस्कार तक के सारे कर्मों को खुद अपनी आंखों से देखता है। इस स्थिति में आत्‍मा शरीर की खोज करने लगती है और मौका मिलते ही किसी के शरीर में भी प्रवेश कर जाती है।
नीचे की स्लाइड्स में जानिए, क्‍यों नहीं मिलती आत्‍मा को मुक्ति -
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