पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने पर बोले हुकुमदेव, मिलेगा राजनीतिक फायदा

पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने पर बोले हुकुमदेव, मिलेगा राजनीतिक फायदा
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राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित ‘संविधान 123वां संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई है।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित ‘संविधान 123वां संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गयी है। इससे जुड़े मसलों पर प्रस्तुत है ओबीसी समुदाय से भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं संसद की कृषि संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष हुकुमदेव नारायण यादव की राय।

सवाल : राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई है, इसे आप किस नजरिये से देखते हैं ?
जवाब: यह मांग बहुत पुरानी है। जब देश में अनुसूचित जाति आयोग ओर अनुसूचित जनजाति आयोग बना।
उसी समय अगर सशक्त पिछड़ा वर्ग आयोग बना दिया गया होता और उसे संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया होता, तब आज पिछड़े वर्ग के लोगों की सामाजिक दशा कुछ और होती। बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने पिछड़े वर्ग के सशक्तिकरण की दिशा में यह महत्वपूर्ण पहल की है।
यह देश की बड़ी आबादी वाले पिछड़े वर्गों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक सशक्तिकरण एवं उनका सम्मान सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
सवाल : पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने से क्या लाभ हैं ?
जवाब : पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने से इस आयोग को वे सारे अधिकार प्राप्त हो जायेंगे जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति राष्ट्रीय आयोग को प्राप्त हैं।
इस वर्ग के जितने भी लोग सरकारी या प्राइवेट संस्थानों में नौकरी कर रहे है, अगर उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है, उनके साथ ज्यादती हो रही है, तब वे आयोग के समक्ष याचिका दायर कर कर सकेंगे। आयोग को इसकी जांच करने और उचित कदम उठाने का अधिकार होगा।
पिछड़े वर्गों में कुछ ऐसी जातियां हैं जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के समान ही आर्थिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़ी हैं। इनको सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के साथ इस वर्ग के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के संदर्भ में भी आयोग सलाह देगा। पिछड़ा वर्ग आयोग को डाक या पोस्ट के माध्यम से भी आवेदन किया जा सकेगा। आयोग इस पर संज्ञान लेगा और कार्रवाई करेगा।
सवाल : आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने से पिछड़े वर्ग की समस्याएं क्या समाप्त हो जायेंगी ?
उत्तर : ओबीसी का मतलब ओरिजिनेटर, सृजनकर्ता, बिल्डर, निर्माता, क्रिएटर और रचयिता होता है। पिछड़े वर्ग के लोग गांव में रहते हैं, खेती किसानी का काम करते हैं, कुम्हार का काम करते हैं, नए नए बर्तन बनाते हैं, मूर्तियां बनाते हैं, उन्हें रंगते हैं। दुनिया उस मूर्ति को पूजकर विद्या, शक्ति, धन का वरदान मांगती है। कलाकार ओबीसी वर्ग के लोग हैं लेकिन उनकी कला को सम्मान नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ग को सम्मान और प्रतिष्ठा देने का काम किया है। एक बार यह वर्ग सशक्त हो गया, उसमें एकजुटता आ गई, तब राष्ट्र निर्माण में इनके योगदान से पूरे देश को उसका लाभ मिलेगा।
सवाल: आरक्षण के प्रावधान को लेकर जारी आरोप-प्रत्यारोप पर आपका मत क्या है ?
उत्तर : मैं आरक्षण का पक्षधर रहा हूं और कई मौकों पर अपनी राय भी व्यक्त की है। सत्तर के दशक में जब गृह मंत्री चौधरी चरण सिंह थे, तब कर्पूरी ठाकुर के साथ हमलोग आरक्षण के विषय को लेकर उनके पास गए थे। तब 1979 में बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल के नेतृत्व में मंडल आयोग बना था।
समिति ने 3 दिसंबर, 1980 को रिपोर्ट दी थी, लेकिन इसकी सिफारिशों को करीब एक दशक बाद लागू किया गया। अगर उसी समय इस पर अमल हो गया होता तो आज स्थिति कुछ और होती। मंडल आयोग ने सिफारिश की थी कि पिछड़ी जाति के लोग, जो पारंपरिक पेशा चलाने वाले हैं, उनके लिये भी विशेष व्यवस्था की जाए। इसे भी नजरंदाज किया गया। हालांकि हमने पिछले कुछ समय में देखा है कि पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने और एससी, एसटी अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक पारित करके वर्तमान सरकार ने महत्वपूर्ण पहल की है।

सवाल : भाजपा ने क्या इसका राजनैतिक फायदा उठाने के लिये यह पहल की है ?
जवाब : भाजपा ने पिछड़े वर्गो को सम्मान देने का काम किया है, तो निश्चित तौर पर पार्टी को इसका लाभ होगा । इतने वर्षों तक यह वर्ग अपने मूलभूत अधिकारों एवं सम्मान से जीने के हक से वंचित रहा। आज जब इन वर्गो के हितों की सुरक्षा की पहल की जा रही है, तब यह वर्ग निश्चित तौर पर भाजपा को सम्मान देगा।

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