ये है दुनिया का पहला तैरने वाला परमाणु संयंत्र, 1 लाख लोगों को मिलेगी बिजली
यह संयंत्र करीब 1 लाख लोगो को पांच साल तक बिजली मुहैया कराएगा। इस संयंत्र का निर्माण सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोस्तम ने किया है। तैरता परमाणु संयंत्र बिजली की सप्लाई 2019 से शुरू कर देगा।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 29 May 2018 5:45 PM GMT
दुनिया का प्रथम तैरता परमाणु संयंत्र समुद्र में उतरने के बाद अब अपने मिशन आर्कटिक पर पहुंच चुका है। प्लांट रूस के सुदूर उत्तरी शहर मुरमांस्क के एक बंदरगाह से ईंधन भरने के बाद रवाना हुआ था।
यह संयंत्र करीब 1 लाख लोगों को पांच साल तक बिजली मुहैया कराएगा। इस संयंत्र का निर्माण सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोस्तम ने किया है। तैरता परमाणु संयंत्र बिजली की सप्लाई 2019 से शुरू कर देगा।
94 मिलियन डॉलर की लागत से इस न्यूक्लियर परमाणु संयंत्र शिप को निर्मित किया गया है। 21 टन वजन वाला यह संयंत्र 70 मेगावॉट बिजली की आपूर्ति करेगा जो कि रूस के सुदूर इलाकों के लिए सप्लाई की जाएगी।
हालांकि रूस 2020 तक पहले ही 7 अन्य न्यूक्लियर पॉवर जेनेरेशन फ्लोटिंग शिप की योजना बना चुका है। इसी समय में चीन भी एक तैरता परमाणु बिजली संयंत्र बनाने में लगा हुआ है।
रूस का यह संयंत्र सेंट पीटर्सबर्ग में बना और यहां से तीन हफ्तों की यात्रा के बाद यह मुरमांस्क पहंचा, जहां से इसमें न्यूक्लियर ईधन भरा गया। इसके बाद यह रूस के सुदूर उत्तरी चुकोटका के पेवक की ओर रवाना हो गया जो कि अमेरिका और अलास्का से 86 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस तैरता पॉवर प्लांट को कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र से न्यूक्लियर पॉवर जेनेरेशन फ्लोटिंग पॉवर प्लांट में बदला गया है। जो कि 144 मीटर लंबे और 30 मीटर चौड़ा है और यह 33 फीट ऊंचाई वाला है। इसका वजन 21 टन है
जब यह संयंत्र कोयले से संचालित था तब 50 हजार घरों को ही बिजली दे पाता था लेकिन न्यूक्लियर पॉवर होने के बाद इसकी क्षमता दोगुनी होकर एक लाख पहुंच गई है। इसे 69 क्रू का एक दल ऑपरेट करता है।
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