इस देश में ''मौत पर लगा हुआ है बैन'', अगर हो जाए मौत तो परिवार को भुगतना पड़ता है ये सब
आज भी बहुत से लोग रोजगार की वजह से एक शहर से दूसरे शहर आ जाते है, लेकिन उनका हमेशा यही मानना होता है कि अगर उन्हें मौत आएं तो अपनी जन्म भूमि पर आएं और अगर ऐसा न हो पाए तो कम से कम उनके शव का अंतिम संस्कार तो उनकी जन्म भूमि पर ही हो।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 29 May 2018 2:38 PM GMT
आज भी बहुत से लोग रोजगार की वजह से एक शहर से दूसरे शहर आ जाते है, लेकिन उनका हमेशा यही मानना होता है कि अगर उन्हें मौत आए तो अपनी जन्मभूमि पर आए और अगर ऐसा न हो तो कम से कम उनके शव का अंतिम संस्कार तो उनकी जन्मभूमि पर ही हो।
लेकिन दुनिया में एक ऐसी भी जगह है, जहां पर लोगों के मरने पर ही मनाही (बैन) है। यह बात आपको बहुत ही हैरान कर रही होगी। जिसके पीछे की वजह भी उतनी ही हैरान करने वाली है।
नॉर्वे के द्वीप स्वालवर्ड की राजधानी लॉन्गइयरबेन के एक कस्बे में 1950 से एक कानून लागू किया गया था, जिसके तहत इस कस्बे में लोगों का मरना गैरकानूनी हैं।
दरअसल नॉर्वे में तापमान काफी कम रहता है। जिसकी वजह से वहां पर दफनाएं जाने वाले शव कई सालों तक मिट्टी में नहीं मिल पाते और अगर ऐसे में किसी व्यक्ति की मौत बीमारी की वजह से हुई है।
तो ऐसे में बीमार शव मिट्टी में मिल नहीं पाता तो बीमारी के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इस कस्बे में साल 1918 में स्पेनिश फ्लू की वजह से मौत हो गई थी और लाखों लोगों की कब्रें बनी हुई हैं।
इस वजह से अगर किसी व्यक्ति की तबीयत बहुत खराब हो जाती है और ऐसा लगता है कि वह बच नहीं पाएगा तो उसे किसी और स्थान पर भेज दिया जाता है। ताकि उसके शव को किसी और जगह दफनाया जा सकें।
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