OMG: भारत के एक गांव में है अजीबोगरीब प्रथा, भीख न मांगने पर नहीं करने देते शादी, जानें पीछे की वजह
कानपूर के इस समुदाय के लोगों की सोच के बारें में जब आपको पता चलेगा तो आप भी बहुत हैरान हो जाएंगे। कानपूर से सटे एक गांव में कपाड़िया नाम की एक बस्ती है। जहां पर रहने वाले सारे लोग भिखारी हैं।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 14 May 2018 12:11 PM GMT
भारत में हमने देखा है कि गरीबी और भुखमरी के कारण लोग भीख मांगते हुए आ रहे हैं और ऐेसे लोगों ने भीख मांगने को अपना एक पेशा बना लिया है। भीख मांगने के इस काम में अपहरण करके बच्चों को भी लगाया जाता है।
कई लोग बच्चों के हाथ पैर काट कर भीख मांगने के लिए छोड़ देते है। ताकि अपंग बच्चों को देख कर लोग उन्हें भीख दें। कानपूर में एक ऐसा समुदाय भी रहता है जो कि भीख मांगने को अपना पेशा मानता हैं।
कानपूर के इस समुदाय के लोगों की सोच के बारें में जब आपको पता चलेगा तो आप भी बहुत हैरान हो जाएंगे। कानपूर से सटे एक गांव में कपाड़िया नाम की एक बस्ती है। जहां पर रहने वाले सारे लोग भिखारी हैं। इस गांव की जनसंख्या लगभग 4 हजार है।
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इस गांव में रहने वाले सभी पुरूषों की वेशभूषा एक जैसी है और इस गांव में 200 साल पहले से बहुत ही अजीबो-गरीब प्रथा चलती हुई आ रही हैं। इस समुदाय के सभी पुरूष भीख मांगते है और अगर कोई पुरूष भीख मांगने का काम नहीं करता तो यह समुदाय उसकी शादी नहीं होने देता है।
कपाड़िया समुदाय एक बुगुर्ज व्यक्ति ने बताया कि हम घुंमतू समुदाय से ताल्लुख रखते हैं और करीब दो सौ साल पहले कानपुर के जमीदार मानसिंह ने हमें यहां पर बसाया था। जिसके बाद यहीं हमारा ठिकाना बन गया है।
इस गांव में रहने वाले रामलाल कहते है कि अगर हम बाल कटवा लें और पेंट कमीड पहन ले तो हमारी जीविका खो जाएंगी। हम लोग भिक्षा पर ही निर्भर हैं और यहां के लोग नौकरियों से ज्यादा भिक्षा के माध्यम से अपना जीवन व्यापन करने में विश्वास रखते हैं।
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कपाड़िया के स्थानीय पार्षद आशोक दुबे का कहना है कि यहां के लोग सदियों से भीख मांग रहे हैं उन्होंने कभी अपने हालातों को बदलने के बारे में नहीं सोचा। इस समाज की यह धारणा बन चुकी है कि नौकरी से अच्छा भीख मांगना है।
इन लोगों का सोचना हैं कि नौकरी करने से यह लोग सिर्फ 10 हजार रुपए कमा सकते हैं लेकिन भीख मांगने के काम में कोई राशि तय नहीं है। वह जितना चाहे कमा सकते हैं। इन लोगों का ऐसा सोचना शिक्षा की कमी के कारण हैं।
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