गजब! पानी के बाद अब आंसुओं से इस तरह बनाई जाएगी बिजली
लाइजोजाइम एक ऐसा प्रोटीन है जो अंड़े के सफेद भाग और स्तनपायी जीवों के आंसुओं, लार और दूध में पाया जाता है।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 7 Oct 2017 10:49 AM GMT
यूं तो आपने अभी तक हवा, पानी से बिजली बनाने के बारे में सुना होगा। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने बिजली बनाने का एक ऐसा नायाब तरीका निकाला है जिसे सुनकर आपको यकीन करना थोड़ा मुश्किल होगा।
अब आप के आंसू अब जाया नहीं होगें। आयरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ लिमरिक के शोधकर्ताओं ने खोज की है जिसके मुताबिक आंसुओं में मौजूद एक खास प्रोटीन से बिजली बनाई जा सकती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि लाइजोजाइम एक ऐसा प्रोटीन है जो अंड़े के सफेद भाग और स्तनपायी जीवों के आंसुओं, लार और दूध में पाया जाता है। इस प्रोटीन पर दबाव बनाकर बिजली पैदा की जा सकती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रोटीन के एक प्रकार लाइसोजाइम के क्रिस्टलों पर दबाव बनाकर बिजली पैदा की जा सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इंसानी शरीर में लाइसोजाइम नाम का यह प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है।
दबाव बनाकर बिजली पैदा करने की इस क्षमता को प्रत्यक्ष दाबविद्युत पाइजोइलेक्ट्रिसिटी के नाम से जाना जाता है। यह स्फटिक जैसे पदार्थों का गुण है, जो कि यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में और विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदल देते हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि मानव शरीर में दवाओं के छोड़े जाने को नियंत्रित करने के लिए लाइजोजाइम पंप की तरह इस्तेमाल हो सकेगा। यह अपने आसपास से बिजली एकत्र करके काम करेगा। अभी इस तकनीक पर शोध जारी है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि बायोलॉजिकल पदार्थ होने के कारण यह प्रोटीन हानिकारक रसायनों से मुक्त है। इस वजह से इसे मानव शरीर में ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए जाने वाले उपकरणों पर जीवाणुरोधी परत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा।
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