जंगल में छूट गया था फोटोग्राफर का कैमरा, बन्दर ने ले ली सेल्फी और मामला पहुंचा कोर्ट
फोटो से कमाई का 25 फीसदी बंदरों के कल्याण पर खर्च होगा।

इंडोनेशिया में बंदर द्वारा ली गई सेल्फी से जुड़े कॉपीराइट मामले में फैसला हो चुका है। इस अनोखे सवाल का जवाब संघीय अपीली कोर्ट देती उससे पहले ही अटॉर्नी ने घोषणा कर दी कि सेल्फी तस्वीर के कॉपीराइट मामले का निबटारा हो गया है।
पशु अधिकार समूह के वकीलों ने यह जानकारी दी है कि इस समझौते के तहत, बंदर द्वारा लिए गई सेल्फी में जिस फोटोग्राफर के कैमरे का प्रयोग किया गया था उसने भविष्य में तस्वीरों से मिलने वाले राजस्व का 25 फीसदी हिस्सा इंडोनेशिया में बंदरों की विशेष प्रजाति के संरक्षण का काम करने वाली धर्मार्थ संस्थाओं को देने पर सहमति जताई है।
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समूह के अटॉर्नी और फोटोग्राफर के वकील डेविड स्लेटर ने मामले को खारिज करने के लिए सैन फ्रांसिस्को स्थित 9वें यूएस सर्किट कोर्ट ऑफ अपील से मामले को निरस्त करने और निचली कोर्ट के उस फैसले को रद्द करने को कहा जिसमें कहा गया था कि कॉपीराइट का अधिकार प्राणियों को नहीं मिल सकता है।
पशु अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था पेटा ने साल 2015 में स्लेटर पर सेल्फी लेने वाले मकैक प्रजाति के बंदर की जगह डेविड स्लेटर पर फोटो के मालिकाना हक को लेकर केस किया था। संस्था की मांग थी कि यह तस्वीर बंदर ने खुद ली है और इसलिए इससे होने वाली कमाई भी बंदर को मिलनी चाहिए, उसपर खर्च होने चाहिए।
बता दें कि साल 2011 में इंडोनेशिया के सुलावेसी में स्लाटर ने कैमरा लावारिस हालत में छोड़ रखा था इसी दौरान बंदर ने अपनी तस्वीर ली थी।
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अपीली अदालत ने इस मामले में तत्काल कोई फैसला नहीं दिया है। पेटा और स्लाटर ने संयुक्त बयान में कहा है कि वह दोनों इस बात पर सहमत हैं कि यह एक अहम मामला है। यह गैर इंसान प्राणियों को कानूनी अधिकार देने से जुड़ा हुआ मुद्दा है। इस लक्ष्य का दोनों ही समर्थन करते हैं और इसे पाने के लिए वे अपना काम जारी रखेंगे।
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