मिलिए वीर चक्र का सम्मान पाने वाले खच्चर से, सोशल मीडिया पर हो रहे हैं चर्चे
करीब 15 दिन पाकिस्तान की हिरासत में रहने के बाद भी असलहे के बाद पहुंच गया था आर्मी कैंप में।

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haribhoomi.comCreated On: 8 Jun 2014 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. खच्चर को वैसे तो लोग कोई सम्मान के साथ नहीं पहचाना जाता लेकिन इंटरनेट पर इन दिनों एक बहादुर खच्चर की कहानी शेयर की जा रही है। एक ऐसा खच्चर, जिसने 1971 के युद्ध में असाधारण बहादुरी दिखाई और इसके लिए सेना ने उसे वीर चक्र से भी नवाजा। जब बेंगलुरु मिरर ने पड़ताल की, तो यह कहानी कुछ हद तक सही पाई गई।
इसके बारे में फेसबुक पर शेयर किया जा रहा है कि, सेना से बाहर शायद ही कोई इस बात को जानता है कि 1971 के युद्ध में पाकिस्तान आर्मी ने जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के लिए रसद और गोला-बारूद ले जा रहे जानवरों के काफिलों पर हमला कर दिया। हमले की वजह से खच्चरों को तितर-बितर कर दिया और साथ में चल रही टुकड़ी ने जवाबी हमला शुरू कर दिया।
जब काफिला फिर से इकट्ठा हुआ तो पाया कि 3 खच्चरों को पाकिस्तानियों ने अपने कब्जे में ले लिया है। पेडोंगी उन्हीं में से एक था। बॉर्डर पर यह सामान्य सी बात थी। सेनाएं एक-दूसरे के खच्चरों को कब्जाकर उन्हें काम पर लगा देती थीं। पेडोंगी को भी पाक सेना ने राशन और हथियार ढोने के काम पर लगा दिया।
करीब 15 दिन बाद पेडोंगी वापस इंडियन आर्मी की अपनी यूनिट में पाया गया। उस पर एक पाकिस्तानी मीडियम मशीन गन और असलहे के दो बक्से लदे थे। वह इतनी बुरी हालत में था, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता था कि वह बड़ी मुश्किल से पाकिस्तान के कब्जे से भागा था और 20 किलोमीटर का सफर तय करके अपनी यूनिट में पहुंचा था।
नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, गिनीज बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में भी दर्ज है इसका नाम और जानिए सम्मान पाने का पूरा सफर-
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