हैरतअंगेज: ''कुवगम फेस्टिवल'' में भगवान अरावन से एक रात की शादी के बाद, किन्नर हो जाते हैं विधवा
कुवगम में इस धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जोकि 2 मई को खत्म हुआ। इस कार्यक्रम में कई तरह के इवेंट होते हैं। इवेंट के दौरान किन्नर हर रात अर्जुन के पुत्र अरावन की पूजा करने मंदिर जाते हैं।

आपने किन्नरों जुड़े कई रोचक किस्से और तथ्य सुने होंगे। किन्नर एक ऐसा समुदाय जिसे भारत का कोई भी समुदाय पसंद नहीं करता है। किन्नरों को लेकर लोग तरह-तरह किस्से भी बनाते है। उनमें से एक-दो किस्से आपने भी सुने होंगे।
लेकिन हम आपको किन्नरों से जुड़ा एक रोचक और धार्मिक किस्सा बताएंगे। ये किस्सा शुरु किन्नरों के तीर्थ स्थल कहे जाने वाले कुवगम गांव से जुड़ा है। कुवगम गांव तमिलनाडु में है। यहां हर साल किन्नर समुदाय 18 दिनों के लिए एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।
इस साल भी इस कुवगम में इस धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जोकि 2 मई को खत्म हुआ। इस कार्यक्रम में कई तरह के इवेंट होते हैं। इवेंट के दौरान किन्नर हर रात अर्जुन के पुत्र अरावन की पूजा करने मंदिर जाते हैं।
चुना जाता है मिस कुवागम
तमिलनाडु के कुवगम गांव के नाम पर इसे 'कुवगम फेस्टिवल' के नाम से जाना जाता है। इस फेस्टिवल में कई तरह के इवेंट भी होते हैं। जिसमें से एक ब्यू़टी कान्टेस्ट भी शामिल है। इसमें किसी एक किन्नर को 'मिस कुवागम' भी चुना जाता है।
ये है कहानी
किन्नरों के यह त्यौहार महाभारत से प्रभावित है। कहा जाता है कि महाभारत के दौरान भगवान कृष्ण अर्जुन के पुत्र अरवन से शादी करने के लिए मोहिनी के रूप में आ जाते है।
'कुवगम' भारत के सभी ट्रांसजेंडर्स लोगों का एक वार्षिक धार्मिक त्यौहार है। जो कि भगवान कृष्ण के समय से मनाया जा रहा है जिसमें सभी किन्नर अरावन देवता से शादी करते हैं। भगवान कृष्ण के एक रूप को ही अरावन देवता कहा जाता है जिनकी ट्रांसजेंडर्स पूजा करते है।
'कुवगम' त्यौहार को 18-दिन तक एक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। 'कुवगम' त्यौहार को मनाने के पीछे की वजह यह बताई जाती है कि महाभारत के युद्ध दौरान एक योद्धा था जिससे कौरवों के खिलाफ पांच पांडव भाइयों के साथ महाभारत में युद्ध लड़ा था।
पांडवों की सफलता के लिए कृष्ण लेते है मोहिनी का रुप
युद्ध के मैदान पर पांडव भाइयों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए बलिदान देने को बोला लेकिन उन्होंने मरने से पहले एक महिला के साथ शादी करने और रात बिताने की इच्छा रखी।
अरावन की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान कृष्ण ने आरावनी का रूप लिया। जिसके बाद अरावन ने आरावनी ने शादी की। इसी आधार पर किन्नर समुदाय इस त्यौहार को मनाता है।
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