तेरह की उम्र में लिख दिया उपन्यास, पौराणिक कथाओं से मिली प्रेरणा
यशवर्धन माउंट सेंट मेरी स्कूल में 9वीं कक्षा के छात्र हैं। उपन्यास लिखने के लिए उसके पिता और चाचा ने हौसला बढ़ाया।

इस किशोर रचनाकार ने अपनी जिस कल्पना को शब्दों में समेटने का प्रयास किया है उसके मूल में स्कूल में पढ़ने वाला एक बच्चा डेविड है जो एक दैत्य के हमले में अपने परिवार को खोकर अंटार्कटिका पहुंच जाता है। यशवर्धन की किताब ‘गॉड्स ऑफ अंटार्कटिका’ में डेविड का सामना भगवानों और दैत्यों से होता है। किताब लिखना कैसा लगा? इस सवाल के जवाब में यशवर्धन ने कहा कि अपना पहला उपन्यास लिखते हुए बहुत अच्छा लगा।
लोग मुझसे मेरे विचारों के बारे में पूछते हैं और मेरे काम की तारीफ करते हैं। हालांकि एक छात्र के रूप में स्कूल में मेरी अंग्रेजी बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है। अपनी लेखन यात्रा के बारे में यशवर्धन ने बताया कि मैंने पिछले साल यह किताब लिखना शुरू किया और अक्तूबर में खत्म किया। इस किताब के पहले मैं 70 पन्नों की एक लघुकथा लिख चुका हूं। तब मैं छठी कक्षा में था।
फिलहाल यशवर्धन माउंट सेंट मेरी स्कूल में 9वीं कक्षा के छात्र हैं। उसका कहना है कि उपन्यास लिखने के लिए उसके पिता और चाचा ने हौसला बढ़ाया। उन्होंने बताया कि शुरू में लेखन और अध्ययन के बीच तालमेल बनाने में दिक्कत हुई।
नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, क्यों हुआ विवाद, उपन्यास लिखने से यशोवर्धन की पढ़ाई पर क्या फर्क पड़ा-
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