उर्दू के मशहूर शायर अनवर जलालपुरी का निधन, भगवद्गीता और गीतांजलि का किया था उर्दू में अनुवाद
प्रसिद्ध उर्दू शायर अनवर जलालपुरी की मृत्यु मंगलवार को हो गई। उन्होंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में केजीएमयू मेडिकल कॉलेज में अंतिम सांस ली।

प्रसिद्ध उर्दू शायर अनवर जलालपुरी की मृत्यु मंगलवार को हो गई। उन्होंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में केजीएमयू मेडिकल कॉलेज में अंतिम सांस ली। अनवर जलालपुरी को 28 दिसंबर को ही केजीएमयू में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। उनकी उम्र 70 साल की थी।
जलालपुरी साहब ने उर्दू शायरी में 'गीतांजलि' तथा भगवद्गीता के उर्दू संस्करण 'उर्दू शायरी में गीता' पुस्तकें लिखीं जिन्हें बेहद सराहा गया था। उनके बेटे शाहकर ने बताया कि अनवर जलालपुरी ने सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर देह त्याग दी।
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जलालपुर में निकलेगी अंतिम यात्रा
शाहकर ने बताया कि अनवर जलालपुरी की अंतिम यात्रा बुधवार को अम्बेडकरनगर जिले के जलालपुर में होगी। जलालपुरी के पीछे उनकी पत्नी और 3 बेटे हैं। उन्होंने राहरौ से रहनुमा तक जैसा साहित्य और टीवी सीरियल्स में डायलॉग्स भी लिखे।
मुशायरों को दिया नया रंग
अनवर जलालपुरी खासकर मुशायरों के संचालन के लिए जाने जाते हैं। अनवर ने भारत में ही नहीं पूरे विश्व में मुशायरों को एक नया रंग दिया। एक ऐसा मंच तैयार किया जहां पर हजारों लोगों ने खुद के रंग को प्रस्तुत किया।
यश भारती पुरस्कार से सम्मानित
शायरी में अनवर जलालपुरी नाम अख्तियार करने वाली इस शख्सियत को हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सर्वोच्च पुरस्कारों में शामिल यश भारती पुरस्कार से भी नवाजा गया। अनवर जलालपुरी बसपा सरकार में मदरसा बोर्ड के चेयरमैन के पद पर भी रहें।
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