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काशी: शंकराचार्य की गद्दी के लिए 76 साल बाद फिर होगा शास्त्रार्थ

विद्वता साबित करने वाले संत को ही शंकराचार्य की गद्दी मिलेगी

काशी: शंकराचार्य की गद्दी के लिए 76 साल बाद फिर होगा शास्त्रार्थ
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हिन्दुओं की पवित्र नगरी काशी में ज्योतिष पीठ शंकराचार्य की खाली गद्दी पर बैठने के लिए शास्त्रार्थ होगा। तर्क वितर्क और ज्ञान की जंग विद्वानों में छिड़ेगी।

76 साल बाद काशी में ऐसा दृश्य दिखने वाला है। शास्त्रार्थ में अपनी विद्वता साबित करने वाले संत को ही शंकराचार्य की गद्दी पर बैठने का मौका मिलेगा।

शंकराचार्य पद की योग्यता की जांच स्क्रीनिंग कमिटी करेगी तो शास्त्रार्थ में अपनी विद्वता साबित करके ही किसी संत को शंकराचार्य की उपाधि मिलेगी।

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में यह प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

स्वामी स्वरूपानंद और स्वामी वासुदेवानंद में था विवाद

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी वासुदेवानंद के दावे को खारिज करने के बाद हाईकोर्ट ने नए शंकराचार्य की नियुक्ति के लिए काशी की 116 साल पुरानी संस्था भारत धर्म महामंडल को मुख्य रूप से जिम्मेदारी सौंपी है।

इस संस्था को मठाम्नाय अनुशासन ग्रंथ के आधार पर विद्वानों और द्वारिका, श्रीरंगेरी व पुरी पीठ के शंकराचार्यों के परामर्श से नाम तय करना है।

1941 में शंकराचार्य के लिए हुआ था शास्त्रार्थ

भारत धर्म महामंडल के चीफ सेक्रटरी प्यारे मोहन सिंह ने बताया कि शंकराचार्य की नियुक्ति के लिए गठित 26 सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल ने पूरी प्रक्रिया तय कर दी है।

इस प्रक्रिया के अंतिम चरण में ठीक उसी तरह शास्त्रार्थ होगा जैसा कि 1941 में शंकराचार्य के चयन के लिए आयोजित किया गया था। शास्त्रार्थ में विजयी स्वामी ब्रह्मानंद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की गद्दी पर बैठने वाले पहले संत थे।

नियुक्ति प्रक्रिया 3 चरणों में होगी पूरी

शंकराचार्य चयन के लिए बने निर्वाचक मंडल के समन्वयक भाल शास्त्री के मुताबिक नियुक्ति प्रक्रिया 3 चरणों में पूरी होगी।

देश भर के विद्वानों से नाम मिलने के बाद स्क्रीनिंग कमिटी योग्यता की जांच करेगी। शंकराचार्य पद के लिए ब्राह्मण-ब्रह्मचारी, परिवज्रक के साथ चतुर्वेद, वेदांत-वेदांग व पुराण का ज्ञाता होना आवश्यक है।

दोनों चरणों में अव्वल आने वालों के बीच शास्त्रार्थ होगा। चयन की तय प्रक्रिया पर भारत धर्म मंडल की नेशनल काउंसिल 7 दिसम्बर को होने वाली बैठक में मुहर लगाएगी।

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