''समाजवाद'' पर योगी की टिपण्णी से भड़के अखिलेश, सीएम को बर्खास्त करने की मांग की
मुख्यमंत्री योगी ने कल विधान परिषद में वर्ष 2018-19 के बजट पर चर्चा के दौरान योगी ने समाजवाद को भी ‘धोखा‘ और ‘मृगतृष्णा‘ बताते हुए उसे फासीवाद और नाजीवाद से जोड़ा था।

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विधान परिषद में समाजवाद को ‘धोखा‘ करार दिए जाने को ‘अवैधानिक कृत्य' करार देते हुए आज राज्यपाल से उन्हें बर्खास्त करने की मांग की।
अखिलेश यादव ने यहां जारी बयान में कहा कि चाहे कोई कितने भी बड़े पद पर हो, उसका आचरण अथवा अभिव्यक्ति संवैधानिक मर्यादा के अंदर होनी चाहिए। मुख्यमंत्री योगी ने जिस तरह ‘समाजवाद‘ पर टिप्पणी की है, वह सरासर असंवैधानिक कृत्य है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार से जिस नैतिक आचरण और संवैधानिक जिम्मेदारी की अपेक्षा है उसका सर्वथा अभाव दिखाई देता है। संविधान की पवित्रता को बचाने के लिए संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा पद के दुरूपयोग के विरूद्ध तत्काल कार्यवाही होनी चाहिए। राज्यपाल को तत्काल भाजपा के अनैतिक और संविधान के प्रति अवमाननापूर्ण आचरण का संज्ञान लेकर मुख्यमंत्री को पदमुक्त करना चाहिये।
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आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी ने कल विधान परिषद में वर्ष 2018-19 के बजट पर चर्चा के दौरान योगी ने समाजवाद को भी ‘धोखा‘ और ‘मृगतृष्णा‘ बताते हुए उसे फासीवाद और नाजीवाद से जोड़ा था।
इसके बाद, सपा प्रमुख अखिलेश ने इस पर किए गइ ‘ट्वीट‘ में कहा था कि संविधान की उद्देशिका में ‘समाजवादी' शब्द संविधान की मूल भावना के रूप में दर्ज है।
मुख्यमंत्री का समाजवाद को ‘झूठा, समाप्त और धोखा‘ कहना संविधान की अवमानना का गम्भीर मुद्दा है, इसके लिये उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए और एक सच्चे योगी की तरह पद त्याग देना चाहिए।
संविधान की उद्देशिका में भारत को ‘संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य' बनाने का संकल्प लिया गया है।
‘समाजवादी' और ‘पंथ निरपेक्ष' शब्द 1976 में 42 वें संविधान संशोधन के जरिए जोड़े गए हैं। योगी ने सपा-बसपा के गठजोड़ पर भी कटाक्ष करते हुए किसी का नाम लिये बगैर कहा था कि कुछ लोग आजकल ‘सर्कस के शेर' हो गये हैं।
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योगी ने आगे कहा था कि सर्कस का शेर शिकार करने में असमर्थ होता है, इसलिये दूसरों की जूठन पर ही अपनी पीठ थपथपाता और गौरवान्वित होने की कोशिश करता है। अखिलेश ने इस टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि शेर चाहे कितना भी भूखा हो, वह शेर ही रहेगा।
अखिलेश ने मैनपुरी में संवाददाताओं से बातचीत में प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा राज्य के सरकारी दस्तावेजों में बाबा साहब का नाम भीमराव अम्बेडकर की जगह ‘भीमराव रामजी आंबेडकर' किए जाने के बारे में कहा कि 'अब यह जरूरी हो गया है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संविधान की कुछ पंक्तियां पढ़ लें।'
उन्होंने कहा कि अगर पढ़ लेंगे तो वह सदन में यह भी नहीं कहेंगे कि शेर भूखा है, वह दूसरे का खाना खाता है....शेर कितना भी भूखा हो, वह शेर ही रहेगा।
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