27 साल से राम मंदिर के लिए पत्थर तराश रहा यह शख्स, मिलती है इतनी सैलरी
उसने 1992 में तीन हजार रुपये से नौकरी शुरू की थी।

अयोध्या में राममंदिर निर्माण स्थल के समीप स्थित कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम करने वाले ज्यादातर कारीगर काम छोड़कर जा चुके हैं लेकिन 53 वर्षीय रजनीकांत ही अकेला बचा है जो राम मंदिर के लिए पत्थरों को तराशने में जुटा हुआ है।
आज से 27 वर्ष पहले जब कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम शुरू हुआ उस वक्त गुजरात, राजस्थान और यूपी के मिर्जापुर से करीब 125 कारीगर काम में जुटे हुए थे। रजनीकांत बताते हैं कि उस समय उत्साह अपने चरम पर था।
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रजनीकांत का कहना है कि ये बात सच है कि अभी वो अकेले काम कर रहा है, लेकिन एक बार राम मंदिर को बनाने की हरी झंडी मिलने के बाद बहुत तेजी से काम तेज हो जाएगा। रजनीकांत का कहना है कि उनको अभी 12 हजार रुपये मेहनताना के तौर पर मिल रहे हैं।
जबकि उसने 1992 में तीन हजार रुपये से नौकरी शुरू की थी। उसका कहना है कि करीब 30 हजार पत्थरों को तराशा जाना अभी भी बाकी है। योजना के मुताबिक 268 फुट लंबे 140 फुट चौड़े और 128 फुट ऊंचे भव्य राम मंदिर का निर्माण प्रस्तावित है।
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जिसमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, गर्भ गृह और सिंह द्वार मंदिर के हिस्सा हैं जिनके पत्थरों में नक्काशी की जा रही है। उसने बताया कि भरतपुर से लाए गए पत्थर खुले में होने की वजह से काले भी पड़ चुके हैं।
इसके अलावा जो पत्थर मंदिर की दीवाल और छत के लिए तराशे जा चुके हैं उनकाे सुरक्षित रखा गया है।
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