न स्ट्रेचर, न एम्बुलेंस, कंधे पर लाया बेटे का शव
पिता अकेला ही अपने पुत्र को अस्पताल के बाहर लाया और टेंपो में लादकर उसे अपने गांव ले गया।

सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एंबुलेंस की सेवाओं की कितनी भी तारीफ करे, लेकिन हकीकत में आम आदमी को एंबुलेंस सुविधा का लाभ आसानी से नहीं मिल पाता है। ऐसा ही एक मामला भीमराव अंबेडकर संयुक्त चिकित्सालय में सामने आया।
यहां अपने बेटे को लेकर अस्पताल आए एक पिता को पुत्र के शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हुई। हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पिता ने एंबुलेंस की कोई मांग नहीं की और वह बिना बताए ही इमरजेंसी वार्ड से बाहर चला गया।
सिविल लाइन थाना क्षेत्र के विक्रमपुरा गांव का रहने वाला उदयवीर अपने 14 वर्षीय पुत्र पुष्पेंद्र को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा था। उदयवीर ईंट भट्ठे पर मुनीम है। उसके पुत्र के पेट में दो दिन से दर्द हो रहा था। जब वह अस्पताल में इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी के पास पहुंचा तो उन्होंने उसे देखकर बताया कि इसकी मौत हो चुकी है। उसके हार्ट व फेफड़े काम नहीं कर रहे थे।
उदयवीर डॉक्टर को दिखाने के बाद अपने पुत्र को कंधे पर लादकर अस्पताल परिसर के बाहर ले आया। आरोप है कि उसे एंबुलेंस की सुविधा अपने पुत्र को घर ले जाने के लिए नहीं दी गई। वह अकेला ही अपने पुत्र को अस्पताल के बाहर लाया और टेंपो में लादकर उसे अपने गांव ले गया।
क्या कहते हैं डॉक्टर
अस्पताल में तैनात चिकित्सक पीयूष त्रिपाठी का कहना है कि पुष्पेंद्र की जांच की गई थी। वह मृत अवस्था में आया था। इसी बीच भरथना में बस दुर्घटना के यात्री आ गए जिसके कारण अस्पताल के लोग उसमें व्यस्त हो गए। उसने एंबुलेंस की मांग किसी से नहीं की और बिना बताए ही पुत्र को लेकर चला गया।
सीएमओ ने की जांच
मामला सोशल मीडिया में आने पर शाम को सीएमओ डॉ. राजीव यादव जिला अस्पताल में जांच करने पहुंचे। उन्होंने बताया कि मामले में जांच की जाएगी। अगर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही है तो इसमें कार्रवाई होगी।
याद आए दाना मांझी
पिछले साल अगस्त महीने में ओडिशा से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी। यहां दाना मांझी को अपनी पत्नी के शव को कंधे पर ले जाना पड़ा क्योंकि अस्पताल में एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
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