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जानें Kuno National Park में छोड़े गए चीतों की उम्र, ऐसे रखा जाएगा इनका ख्याल

पीएम मोदी ने आज अपने जन्मदिन के मौके पर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 8 चीतों को छोड़ा है जो नामीबिया से लाए गए हैं।

जानें Kuno National Park में छोड़े गए चीतों की उम्र, ऐसे रखा जाएगा इनका ख्याल
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस खास मौके पर आज उन्होंने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में 8 चीतों को छोड़ा। बता दें कि भारत में लुप्त हो चुके इन चीतों को नामीबिया से लाया गया है। इनमें 3 नर चीते और 5 मादा शामिल है। नामीबिया की अलग जलवायु से आए इन चीतों के खाने से लेकर रहने तक की हर चीज का खास ख्याल रखा जाएगा। चीतों को दोबारा भारत में पुर्नवास करने की कोशिश पहली बार की जा रही है। लुप्त हो चुके इन चीतों की प्रजाति को आने वाले समय में दोबारा विकसित करके लगभग 50 चीते करने का प्लान बनाया गया है। चलिए अब हम बताते है कि लाए गए इन चीतों की उम्र कितनी है और कैसे ये खुले जंगल में रहेंगे।

नामीबिया से लाए गए चीतों की उम्र

बता दे कि देश में यह घटना इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि दुनिया में इस समय सिर्फ 17 देशों में ही चीते मौजूद है। जिनकी कुल संख्या लगभग 7000 के करीब है। बाहर से आए इन चीतों (Cheetah) में रेडियो कॉलर लगा हुआ है जिससे इनको ट्रैक करने में आसानी होगी। इन चीतों के लिए विशेष बाड़े भी बनाए गए हैं। इन चीतों में 2 नर चीतों की उम्र 5.5 साल है और दोनों भाई है। एक नर चीता 4.5 साल का है। कुल 5 मादा है, जिनमें एक की उम्र 2 साल, एक की 2.5 साल एक की 3 से 4 साल और दो की 5-5 साल है। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए इन चीतों को पहले 1 महीने तक छोटे बाड़ों के अंदर ही रखा जाएगा। ताकि उनकी सेहत पर नजर बनी रहे। क्योंकि नामीबिया और यहां की जलवायु में काफी ज्यादा अंतर है। इसलिए बाड़ों में उनकी सेहत पर आसानी से निगरानी राखी जा सकती है। इकोलॉजिकल बैलेंस बनाए रखने के लिए वैसे तो 25 से 30 चीते होने चाहिए। इसीलिए आने वाले कुछ सालों में दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से और चीते लेकर यहां छोड़े जाएंगे।

क्यों नहीं बच पाते चीते

बहुत से देशों में अब चीते नहीं बचे इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि इनके बच्चे बहुत ही मुश्किल से जिंदा रह पाते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 95% बच्चे बड़े नहीं हो पाते। इनके बचने की उम्मीद बहुत काम होती है, क्योंकि शेर, लकड़बग्घे और अन्य तरह के शिकारी जानवर उन्हें जिंदा नहीं रहने देते। इसके अलावा शिकारी और सुरक्षित जगह नहीं होने की वजह से भी इनकी जान को खतरा रहता है। इसीलिए इस बार इन चीतों को सुरक्षित रखने के लिए इन्हे कूनो नेशनल पार्क के बड़े बड़ों में छोड़ा गया है। इस पार्क के कुछ दूरी तक ऐसे जानवर होंगे जिनका शिकार ये चीते आसानी से कर सकेंगे या फिर ऐसे जानवर होंगे जो इन्हें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे।

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Rajshree Verma

Rajshree Verma

मैं राजश्री बीते एक साल से हरिभूमि डिजिटल में सब-एडिटर के तौर पर करियर, वायरल और नॉलेज बीट पर कार्य कर रही हूं। कंटेंट राइटिंग में मुझे 5 सालों का अनुभव है। पत्रकारिता मेरा पैशन है और मुझे लिखना-पढ़ना बेहद पसंद है।


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