जानिए ईश्वर की साधना के वक्त मन को कैसे करें कंट्रोल

जानिए ईश्वर की साधना के वक्त मन को कैसे करें कंट्रोल
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ईश्वर की साधना के वक्त मन को बाहर के बजाए भीतर की ओर टिकाना जरूरी है।

नई दिल्ली. मनुष्य का मन बड़ा ही चंचल होता है, ईश्वर की उपासना के दौरान भी अक्सर मन विचलित होता रहता है। मन को काबू में करने वाला व्यक्ति बड़ी ही आसानी से प्रभु की शरण में पहुंच जाता है। लेकिन मन को कंट्रोल करना बेहद ही मुश्किल काम है। इसके लिए मनुष्य को अपने ही दिल से पूछना चाहिए कि जहां उनका मन बार बार जा रहा है, उसका अभ्यास उन्होंने कभी नहीं किया, फिर भी उसका मन बार बार क्यों विचलित हो रहा है।

ईश्वर की साधना के वक्त मन को बाहर के बजाए भीतर की ओर टिकाना जरूरी है। ध्यान के दौरान जब मंत्र के तालमेल से साधना में लीन होते ही साधक को साध्य यानी इष्ट की शक्ति महसूस होगी, जो यह भरोसा देती है कि जिस अनदेखे को वह पाने की कोशिश कर रहा है, वह हकीकत है, कल्पना नहीं। यानी सत्य से साक्षात्कार से मन व आत्मा की बेचैनी खत्म होती है, जिससे साधक सहजता व शांति महसूस करता है।

नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए सांसों को मंत्र के साथ लय में लाने से मिलेगी सिद्धी-

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