किसानों का भंडार भरेंगे सैटेलाइट भगवान
मॉनसून सीजन में नए सैटेलाइट क्रॉप मॉनिटरिंग सिस्टम की तैयारी, मिट्टी के नमी का आकलन कर लागत में कटौती लाई जा सकती हैकृषि

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haribhoomi.comCreated On: 29 March 2015 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. राजस्थान के एक किसान शेर सिंह अच्छी फसल के लिए जल के देवता वरुण से प्रार्थना कर रहे हैं। साथ ही वह बंपर फसल के लिए सैटेलाइट भगवान के लिए आकाश की तरफ भी टकटकी लगाए हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पानी के बेहतर इस्तेमाल के लिए खेती में एक-एक बूंद से ज्यादा फसल की पहल को प्रोमोट कर रहे हैं। उनका लक्ष्य इस साल के मॉनसून सीजन में नए सैटेलाइट क्रॉप मॉनिटरिंग सिस्टम लाने पर है। एक्सपर्ट्स की मानें तो 1.25 अरब की आबादी वाले देश में जहां के आधे कामगार खेती से जीवनयापन करते हैं, मिट्टी की नमी और फसलों के विकास का आकलन करने में रिमोट अनैलेसिस के इस्तेमाल से लागत में कटौती लाई जा सकती है और उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। योजना के तहत किसान अपने मोबाइल फोन पर खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे, बीज के प्रकार, सही खाद के इस्तेमाल या समय पर सिंचाई आदि पा सकते हैं। हालांकि, कुछ लोगों को यह आशंका अब भी सता रही है कि प्राकृतिक और अन्य बाधाओं को देखते हुए यह कारगर साबित हो भी पाएगी या नहीं।
प्रधानमंत्री की परियोजना में शामिल मौसम विभाग के अधिकारी एन. चट्टोपाध्याय ने कहा, पूरा नजरिया उत्पादन बढ़ाने के लिए सैटेलाइट इमेज के साथ सॉइल हेल्थ कार्ड के तहत सूचनाएं जमा करने का है। दरअसल, यह पहल नॉर्थ अमेरिका में लागू की गई सूक्ष्म खेती की पद्धति पर आधारित है जो जिओ-लोकेशन तकनीक का इस्तेमाल करती है। अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में मिट्टी और फसलों की सही माप के लिए यूएवी या ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत की 2 अरब हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि की आधे से ज्यादा वर्षा आधारित है जो सिंचाई के लिए किसानों को अक्सर अनिश्चित मॉनसून की कृपा पर छोड़ देती है। बाकी की कृषि योग्य भूमि पर सिंचाई के साधन हैं।
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