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सूखे के बाद अब तेज हवाएं कर रहीं हैं किसानों को बर्बाद

किसान सिर्फ भगवान से हवाओं के रुकने की दुआएं ही मांग रहा है।

सूखे के बाद अब तेज हवाएं कर रहीं हैं किसानों को बर्बाद
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फरीदाबाद. पिछले तीन दिनों से चल रही तेज हवाओं ने किसानों के चेहरों की हवाइयां उड़ा दी है। अब किसान सिर्फ भगवान से हवाओं के रुकने की दुआएं ही मांग रहा है। तेज हवाओं की वजह से 25 फीसदी तक के फसल का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

आपको बता दें कि फसल की बुआई के वक्त इंद्र देवता किसान पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान रहे थे, इस कारण किसानों को फसल में पानी देने के पैसे बच गए थे। बता दें कि बुआई के वक्त और बीच में बारिश होने से किसानों के चेहरों पर अलग ही रौनक देखने को मिल रही थी। किसान से लेकर आम आदमी तक इस बात को लेकर काफी उत्साहित था कि बंपर फसल होने से उनके खाली जेबों में पैसे की कोई कमी नहीं रहेगी लेकिन जो सोचा जाता है वह अक्सर होते नहीं है।

बता दें कि तेज हवाओं के चलने से और फसल के लोटने से दाना के छोटा होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। बताया जाता है कि तेज हवा के चलते वक्त अगर किसान फसल को पानी देता है तो फसल में मैज लग जाती है और फसल में पानी न लगाया जाए तो फिर दाना छोटा रह जाता है और गोला नहीं बन पाता है। छोटा दाना छरने में ही निकल जाता है जिससे किसान को काफी नुकसान पहुंचता है। लोटे हुए फसल को कम्बाइन क्या मजदूर भी नहीं काट पाते हैं। कम्बाइन से अगर फसल कटवाया जाए तो कम्बाइन के ब्लेड नीचे करवाए जाते हैं, जिससे ब्लेडों के टूटने का खतरा ज्यादा रहता है और ऐसी स्थिति में कम्बाइन मालिक को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है।

बता दें कि इस स्थिति में कम्बाइन मालिक भी किसान से फसल को काटने के एवज में दो गुना पैसे की वसूली करते हैं। लोटी हुई फसल को काटने से मजदूर तक अपने हाथ खड़े कर देते हैं। बता दें कि सही फसल को काटने में अगर मजदूर को चार दिहाड़ी लगते हैं तो लोटी हुई फसल को काटने में मजदूर को आठ दिहाड़ी लगती है। तेज हवाओं के चलने से तो गेंहू के फसल को नुकसान तो हो ही रहा है। साथ ही सरसों के फसल को भी भारी क्षति पहुंच रही है।

वहीं इस मुद्दे पर किसान धन सिंह डागर ने बताया कि किसान कि किस्मत में तो रोना ही लिखा होता है। अगर फसल किसी तरह बंपर हो जाए तो उस पर ओले, हवा और बारिश की मार पड़ती है। उन्होंने कहा कि अगर इन तीनों मारों से किसान बच भी जाए तो फिर उन्हें बाजार में आढ़ती की मार पड़ जाता है।

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