जब फूट-फूट कर रोने लगी मैरी कॉम, ऐसे बनीं विश्व चैम्पियन

- महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2018 फाइनल में मैरी कॉम ने ओखोटा को 5-0 से रौंदा
- पांचों जज से 30-27, 29-28, 29-28, 30-27, 30-27 अंक हासिल किए
- रिकार्ड 7वां पदक जीता, छह स्वर्ण और एक रजत पदक
भारतीय सुपरस्टार एम सी मैरी कॉम (48 किग्रा) ने अपने अनुभव के बूते शनिवार को यहां केडी जाधव हाल में दसवीं महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के फाइनल में यूक्रेन की युवा हाना ओखोटा को 5-0 से पस्त कर छठा स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाला जबकि सोनिया (57 किग्रा) को हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा। मैरी ने इस तरह क्यूबा के महान पुरुष मुक्केबाज फेलिक्स सेवोन की बराबरी कर ली जो विश्व चैंपियनशिप में छह खिताब जीत चुके हैं। इससे पहले वह आयरलैंड की केटी टेलर के साथ बराबरी पर थी जो पांच बार विश्व चैंपियन रह चुकी हैं।
पहला राउंड : दाएं हाथ से सीधा तेज पंच
‘मैग्नीफिशंट मैरी' मुकाबले के पहले राउंड में मैरी कॉम ने दाएं हाथ से सीधा तेज पंच लगाकर शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने विपक्षी खिलाड़ी को जरा भी मौका नहीं दिया और बीच बीच में तेजी से मुक्के जड़ते हुए पांचों जज से पूरे अंक हासिल किए। इस दौरान दोनों एक दूसरे के ऊपर गिर भी गई थीं।
दूसरा राउंड : चिर परिचित शैली
दूसरे राउंड में कोच की सलाह के बाद हाना ने आक्रामक होने की पूरी कोशिश की, पर पांच बार की विश्व चैंपियन के सामने उनकी एक नहीं चली। हालांकि इसमें यूक्रेन की मुक्केबाज ने दाएं हाथ से लगाए गए शानदार मुक्कों से कुछ बेहतरीन अंक जुटाए लेकिन वह मैरी कॉम से आगे नहीं निकल सकीं। मैरी कॉम ने अपनी चिर परिचित शैली में खेलते हुए जानदार पंच से विपक्षी का हौसला पस्त करना जारी रखा।
तीसरा राउंड : विपक्षी के मुंह पर पंच
तीसरे राउंड में भी भारतीय मुक्केबाज का जलवा कायम रहा, उन्होंने दबदबा जारी रखते हुए तेजी से कई पंच विपक्षी मुक्केबाज के मुंह पर जमा दिए। ऐसा दिख रहा था कि विपक्षी मुक्केबाज उनके सामने निरूत्तर थी। उसने कई बार जोरदार मुक्कों से वापसी का प्रयास किया, लेकिन अनुभवी मैरी कॉम के पास उनकी हर चाल का जवाब था।
विश्व चैंपियनशिप में सातवां पदक
मैरी कॉम ने खचाखच भरे स्टेडियम में घरेलू दर्शकों के सामने दूसरा स्वर्ण पदक हासिल किया। यह उनका विश्व चैंपियनशिप में सातवां पदक है, इससे पहले वह पांच स्वर्ण और एक रजत जीत चुकी थी। मुकाबला जीतने के बाद मेरीकाम काफी भावुक हो गईं और खुशी की वजह से उनके आंसू थम नहीं रहे थे। उन्होंने इस पदक को देश को समर्पित किया।
ताकतवर मुक्कों से जीता स्वर्ण
मेरीकाम ने हाल में सितंबर में पोलैंड में हुई सिलेसियान मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में यूक्रेन की इस मुक्केबाज को हराकर फाइनल में प्रवेश कर स्वर्ण पदक हासिल किया था। मणिपुर की इस मुक्केबाज ने अपने सटीक और ताकतवर मुक्कों की बदौलत पांचों जज से 30-27, 29-28, 29-28, 30-27, 30-27 अंक हासिल किये। स्टेडियम में बैठा हर व्यक्ति इस दौरान पैंतीस वर्षीय मेरीकाम का उत्साह बढ़ा रहा था।
सोनिया का पहला रजत पदक
भिवानी की 21 वर्षीय सोनिया को फेदरवेट फाइनल में जर्मनी की गैब्रियले ओर्नेला वाहनर से 1-4 से शिकस्त मिली। वह पाचों जज के फैसले में 28-29, 28-29, 29-28, 28-29 , 28-29 से पिछड़ीं। सोनिया पहले ही कह चुकी थी कि विपक्षी मुक्केबाज ‘हार्ड हिटर' है और वह इतनी तेज नहीं खेलतीं। मुकाबले के दौरान साफ दिखा कि जर्मनी की मुक्केबाज तीनों राउंड में हावी रही और सोनिया का दनादन मुक्कों से दमखम भी कम हो गया। हालांकि वह अपनी पहली विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने में सफल रही, यह शानदार उपलब्धि है।
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