CWG 2018: वेंकट राहुल ने भारत को दिलाया चौथा गोल्ड, इस जीत का ये था ''गुडलक चार्म''

गोल्ड कोस्ट। भारतीय भारोत्तोलकों ने पूर्णकालिक फिजियो के बिना राष्ट्रमंडल खेलों में शनिवार को यहां शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए सतीश शिवालिंगम (77 किग्रा) और आर वेंकट राहुल (85 किग्रा) की बदौलत स्वर्ण पदकों की संख्या चार कर ली। मीराबाई चानू (48 किग्रा) और संजीता चानू (53 किग्रा) के बाद सतीश और राहुल ने खेलों में स्वर्ण जीतने का अभियान जारी रखा। भारोत्तोलन में अभी दो दिन बचे हैं लेकिन देश ने पिछले 2014 चरण से एक स्वर्ण पदक ज्यादा अपने नाम कर लिया है। इसके अलावा पी गुरुराजा (56 किग्रा) और दीपक लाठेर (68 किग्रा) ने क्रमश: रजत और कांस्य अपने नाम किए।
मौजूदा चैंपियन भारोत्तोलक सतीश शिवालिंगम (77 किग्रा) ने जांघ में दर्द और राहुल ने घुटने की चोट के बावजूद स्वर्ण पदक हासिल किया। सतीश (25 वर्षीय) ने कुल 317 किग्रा (144 किग्रा+173 किग्रा) भार उठाया तथा वह अपने प्रतिद्वंद्वियों से इतने आगे हो गए कि क्लीन एवं जर्क में अपने आखिरी प्रयास के लिए नहीं गए। वहीं राहुल को अंत तक इंतजार करना पड़ा क्योंकि रजत पदकधारी समोआ के डॉन ओपेलोज से उन्हें करीबी चुनौती मिली। दोनों भारतीय भारोत्तोलक चोटों से जूझ रहे थे लेकिन उनके फिजियो को प्रतिस्पर्धा क्षेत्र में नहीं जा सकते थे क्योंकि एक्रिडिटेशन की भूल से उन्हें वहां जाने की अनुमति नहीं थी। यह ऐसी गलती है जिसकी जिम्मेदारी न तो राष्ट्रीय महासंघ और न ही आईओए लेने को तैयार है।
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सतीश के जांघ में लगी चोट
सतीश ने पदक वितरण समारोह के बाद कहा, ‘राष्ट्रीय चैंपियनशिप में क्लीन एवं जर्क में 194 किग्रा भार उठाने के प्रयास में मेरी जांघ में चोट लग गई थी और मुझे यहां पदक जीतने की उम्मीद नहीं थी। यह मांसपेशियों से जुड़ी समस्या है। मैं अब भी पूरी तरह फिट नहीं था लेकिन मुझे खुशी है कि मैं तब भी स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा।' ‘मेरी जांघ में इतना दर्द हो रहा था कि मेरे लिए बैठना भी मुश्किल था। सभी मेरा ध्यान रख रहे थे जिससे मेरी उम्मीद बंधी लेकिन मैं पूरी तरह से आश्वस्त नहीं था। मैंने कड़ा अभ्यास नहीं किया था और मेरा शरीर अपनी सर्वश्रेष्ठ स्थिति में नहीं था, इसलिए मैं स्वर्ण पदक की उम्मीद कैसे कर सकता था।'
‘गुडलक चार्म' की वजह से जीता सोना: राहुल
राहुल राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप के भी स्वर्ण पदकधारी हैं, 21 वर्षीय राहुल ने कुल 338 किग्रा (151 किग्रा और 187 किग्रा) का वजन उठाया जिससे वह शीर्ष पर रहे। राहुल ने कहा, ‘पिछले साल राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप के दौरान घुटने की चोट से मैं कमजोर पड़ गया था। लेकिन कोचों ने इस पदक को हासिल करने के लिए मेरी काफी मदद की। मैं इसके कारण इतनी अच्छी तरह से ट्रेनिंग नहीं कर पाया।' ‘मैं अभी तक पूरी तरह नहीं उबरा हूं।' राहुल ने अपनी मां का दिया ‘गुडलक चार्म' अपने सिर पर बांधा हुआ था। उन्होंने कहा, ‘दो साल पहले जब मेरी मां का निधन हो गया था, उसके बाद से मैंने इसे रखा हआ है। मुझे इससे प्रेरणा मिलती है।
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