इस साल दुनिया भर के स्टेडियमों में कई मौकों पर इस वजह से राष्ट्रगान बजता सुनाई दिया

इस साल दुनिया भर के स्टेडियमों में कई मौकों पर इस वजह से राष्ट्रगान बजता सुनाई दिया
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सिंधू ने तीन खिताब और तीन रजत पदक के साथ विश्व की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के बीच अपना दावा पुख्ता किया।

पीवी सिंधू ने नई उपलब्धियां हासिल की लेकिन वह किदांबी श्रीकांत रहे जिन्होंने भारतीय बैडमिंटन में परचम लहराते हुए अधिक खिताब जीते जिससे पुरुष खिलाड़ियों ने सत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए नई इबारत लिखी।

इस साल दुनिया भर के स्टेडियमों में कई मौकों पर राष्ट्रगान बजता सुनाई दिया क्योंकि सिंधू और श्रीकांत ने कई एलीट बैडमिंटन टूर्नामेंट के पोडियम पर जगह बनाई।

सिंधू ने तीन खिताब और तीन रजत पदक के साथ विश्व की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के बीच अपना दावा पुख्ता किया तो वहीं श्रीकांत ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए चार खिताब जीते जबकि एक टूर्नामेंट में वह उप विजेता रहे।

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महिला से पुरूष खिलाड़ियों की प्रदर्शन रहा अच्छा

वर्ष 2017 में पुरुष खिलाड़ी अपनी साथी महिला खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहे जिसमें बी साई प्रणीत और एचएस प्रणय ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन किया। साइना नेहवाल भी मजबूत वापसी करने में सफल रही जबकि युगल खिलाड़ियों ने भी छाप छोड़ी।

मुल्यो हंडोयो किए गए कोच नियुक्त

भारत ने तौफीक हिदायत को कोचिंग दे चुके इंडोनेशिया के मुल्यो हंडोयो को भी कोच नियुक्त किया। भारतीय बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष डाॅ. अखिलेश दास गुप्ता का निधन दुख भरी खबर रही जिसके बाद डाॅ. हिमांत बिस्व शर्मा ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली।

साल का आकर्षण हालांकि सिंधू के कुछ कड़े मैच रहे जिन्हें लंबे समय तक भूला नहीं जा सकेगा।

लंबे समय तक याद रहेंगे सिंधू के मैच

बाइस साल की सिंधू को जापान की नोजोमी ओकुहारा के खिलाफ 110 मिनट चले रोमांचक फाइनल में हार झेलनी पड़ी। इसके अलावा कोरिया ओपन और दुबई सुपर सीरीज फाइनल के खिताबी मुकाबले भी उनके लिए भावनात्मक रूप से थकाने वाले रहे।

हैदराबाद की इस खिलाड़ी को विश्व चैंपियनशिप, हांगकांग ओपन और दुबई सुपर सीरीज फाइनल के खिताबी मुकाबले में हार झेलनी पड़ी लेकिन वह दो सुपर सीरीज इंडिया ओपन तथा कोरिया ओपन और सैयद मोदी ग्रां प्री का खिताब जीतने में सफल रही।

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चार सुपर सीरीज जीतने वाले श्रीकांत पहले भारतीय

दूसरी तरफ श्रीकांत एक सत्र में चार सुपर सीरीज जीतने वाले पहले भारतीय बने। उनसे पहले महान खिलाड़ी लिन डैन, ली चोंग वेई और चेन लोंग ही यह उपलब्धि हासिल कर पाए हैं। पिछले साल टखने की चोट के कारण चार महीने बाहर रहे 24 साल के श्रीकांत ने अप्रैल में सिंगापुर, इंडोनेशिया और आस्ट्रेलिया में लगातार तीन फाइनल में जगह बनाई।

कमाई वालों की सूची में श्रीकांत शीर्ष पर

श्रीकांत सिंगापुर फाइनल में हार गए लेकिन इंडोनेशिया और आस्ट्रेलिया में खिताब जीतकर शीर्ष 10 में जगह बनाई और सबसे अधिक कमाई करने वालों की सूची में भी शीर्ष पर पहुंचे।

श्रीकांत विश्व चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में हार गए लेकिन अक्टूबर में लगातार हफ्तों में डेनमार्क और फ्रांस में खिताब जीतने में सफल रहे।

विश्व रैंकिंग में दूसरा स्थान पाया

किदांबी विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर पहुंचे और दुबई फाइनल्स में जगह बनाई। राष्ट्रीय चैंपियनशिप में फाइनल तक के सफर के दौरान श्रीकांत के पैर की चोट बढ़ गई और वह दो टूर्नामेंट में नहीं खेल पाए।

प्रणीत और प्रणय ने भी इस दौरान प्रभावी प्रदर्शन किया। प्रणीत ने सिंगापुर ओपन के आल इंडियन फाइनल में श्रीकांत को हराकर अपना पहला सुपर सीरीज खिताब जीता। प्रणीत ने छह हफ्ते बाद थाईलैंड ग्रां प्री गोल्ड का खिताब जीता।

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प्रणय ने करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग पाई

प्रणय ने इस बीच मलेशिया के महान खिलाड़ी लीग चोंग वेई और चीन के चेन लोंग को लगातार दो दिन हराकर इंडोनेशिया ओपन के सेमीफाइनल में जगह बनाई।

उन्होंने आल इंडियन फाइनल में पी कश्यप को हराकर अमेरिकी ओपन ग्रां प्री का खिताब भी जीता। प्रणय ने डेनमार्क ओपन में भी चोंग वेई को हराया और करियर की सर्वश्रेष्ठ 10वीं रैंकिंग पर भी पहुंचे।

पीबीएल में रहे सबसे महंगे खिलाड़ी

प्रणय अक्टूबर में पीबीएल नीलामी में सबसे महंगे खिलाड़ी रहे और श्रीकांत को हराकर उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप का खिताब भी जीता। साइना ने वापसी करते हुए मलेशिया मास्टर्स ग्रां प्री गोल्ड का खिताब जीता और फिर विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।

साइना ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप के फाइनल में सिंधू को हराया। इस दिग्गज खिलाड़ी की फिटनेस हालांकि अब भी चिंता का विषय बनी हुई है।

साइना फिर मेंटर गोपीचंद से जुड़ी

साइना ने तीन साल विमल कुमार के मार्गदर्शन में खेलने के बाद एक बार फिर अपने मेंटर रहे गोपीचंद से जुड़ने का फैसला किया।

सोलह साल के लक्ष्य सेन ने भी इंडिया इंटरनेशनल सीरीज और युरेशिया बुल्गारिया ओपन का खिताब जीता जबकि टाटा ओपन इंडिया इंटरनेशनल में उप विजेता रहे।

खिलाड़ियों के इस प्रदर्शन से राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद की प्रतिष्ठा में इजाफा हुआ लेकिन विश्व जूनियर चैंपियनशिप टीम में उनकी बेटी गायत्री के चयन से भेदभाव के आरोप भी लगे।

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