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Year Ender 2021: ये साल हॉकी के लिए रहा बेमिसाल, 41 साल के इंतजार के बाद झोली में आया मेडल

यही वो समय था जब दोनों टीमें बिना किसी तरह का मुकाबला खेले खुद को साबित करना चाह रही थी। और हुआ भी कुछ ऐसा पुरुष टीम ने 41 साल के लंबे इंतेजार के बाद देश को ब्रान्ज मेडल दिलाया।

Year Ender 2021: ये साल हॉकी के लिए रहा बेमिसाल, 41 साल के इंतजार के बाद झोली में आया मेडल
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Year Ender 2021 भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल का लंबा इंतेजार किया खत्म।

खेल। 2021 का साल खत्म होने में अब बस कुछ ही समय बचा है। लेकिन जाते-जाते ये साल भारतीय हॉकी टीम (Indian Hockey team) के लिए बेहद खास रहा। यही वो साल है जब हॉकी ने अपनी खोई हुई पहचान को दोबारा हासिल किया। हॉकी ने 2021 की यादों में एक खूबसूरत लम्हा अपने नाम किया।


जहां पुरुष हॉकी टीम ने देश को 41 साल के लंबे इंतजार के बाद मेडल जिताया तो वहीं महिला टीम ने अपने आप को पूरी दुनिया के सामने साबित किया और पूरे देश का दिल जीता। कोरोना महामारी के बीच जहां पूरी दुनिया महामारी से लड़ रही है, इस बीच हॉकी टीम का टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतना देश के लिए राहत पहुंचाने या फिर महामारी के बीच एक अच्छी और सुकून भरी खबर थी। क्योंकि सख्त क्वारंटीन और कोविड प्रोटोकॉल के बीच अपनी ट्रेनिंग को पूरा करना और देश को उसका बरसों पहले खोया हुआ सम्मान इस तरह से वापस लौटाना वास्तव में काबिले-तीरफ है।


कोरोना महामारी के बीच नहीं छोड़ी ट्रेनिंग

पुरुष और महिला टीमों ने पिछले साल कोरोना के बीच साई केंद्र में ट्रेनिंग पूरी की। इस दौरान कई खिलाड़ी कोरोना की चपेट में भी आए। भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में भयावह हालात पैदा कर दिए। और एक बार फिर हॉकी टीमों की ट्रेनिंग पर विराम लग गया। इसी दौरान भारतीय महिला टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया के सिर से पिता का साया उठ गया। लेकिन फिर भी वो इस मुश्किल घड़ी में अपनी ट्रेनिंग पूरी करती रही वो भी अपने परिवार से दूर। वहीं दोनों टीमों को ओलंपिक से पहले किसी भी तरह का कोई मुकाबला खेलने का मौका नहीं मिला और सभी दौरे रद्द हो गए। इसी तैयारी के साथ दोनों टीमें टोक्यो पहुंची।

यही वो समय था जब दोनों टीमें बिना किसी तरह का मुकाबला खेले खुद को साबित करना चाह रही थी। और हुआ भी कुछ ऐसा पुरुष टीम ने 41 साल के लंबे इंतेजार के बाद देश को ब्रान्ज मेडल दिलाया।


महिला टीम ने जीता देश का दिल

हालांकि, दोनों टीमों की शुरुआत कुछ खास नहीं रही। और किसी को उम्मीद नहीं थी कि महिला टीम सेमीफाइनल तक पहुंचेगी। लगातार मिल रही हार के बाद सभी इस बार भी उम्मीदें छोड़ चुके थे कि दोनों टीमें कोई कमाल नहीं कर पाएंगे। लेकिन ओलंपिक में पहली बार सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाने वाली महिला हॉकी टीम ने पूरे देश का दिल जीत लिया। हालांकि, उस सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से 2-1 से मात मिली और उनके हाथ से ब्रॉन्ज मेडल निकल गया।

पुरुष टीम ने 41 साल का सूखा किया खत्म


वहीं पुरुष टीम की बात करें तो उस पर काफी दबाव था। कप्तान मनप्रीत सिंह की अगुवाई में टीम ने भारत के 41 से साल के सूखे को खत्म कर सेमीफाइल में जर्मनी को 5-4 से मात देकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।

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