Tokyo Olympics: भाला फेंक में पदक के प्रबल दावेदार हैं नीरज चोपड़ा, युवा एथलीट के नाम दर्ज हैं अनोखे रिकाॅर्ड

Tokyo Olympics: भाला फेंक में पदक के प्रबल दावेदार हैं नीरज चोपड़ा, युवा एथलीट के नाम दर्ज हैं अनोखे रिकाॅर्ड
X
टोक्यो ओलंपिक में जेवेलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा से देश को पदक की आस है। वहीं नीरज अंजू बॉबी जार्ज के बाद ऐसे दूसरे भारतीय एथलीट हैं जिन्होंने विश्व चैम्पियनशिप स्तर पर स्वर्ण पदक जीता है।

खेल। 23 जुलाई से शुरु हो रहे टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में सबसे बड़ा भारतीय दल 26 एथलीटों का एथलेटिक्स में उतरने जा रहा है। इस बार एथलेटिक्स में कोई एथलीट पदक का दावेदार माना जा रहा है। जूनियर विश्व कीर्तिमानधारी, राष्ट्रमंडल और एशियाई खेल चैंपियन (Asian Games champion) जेवेलिन थ्रोअर (Javelin thrower) नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) से इस बार पदक की आस है। वहीं तीन महीने पहले ही नीरज ने पटियाला (Patiala) में तीसरी भारतीय ग्रांप्री में 88.07 मीटर के थ्रो के साथ अपने ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड को ध्वस्त कर नया रिकार्ड बनाया था। अपने कंधे पर आए इसी उम्मीद के बोझ को उतारने के लिए हरियाणा (Haryana) के इस युवा ने भाला फेंकने का जमकर अभ्यास किया। नीरज अंजू बॉबी जॉर्ज (Anju Bobby George) के बाद ऐसे दूसरे भारतीय एथलीट हैं जिन्होंने विश्व चैम्पियनशिप स्तर पर स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीता है।


परिवार में सबसे बड़े हैं नीरज

हरियाणा के पानीपत जिले के एक छोटे से खंडरा गांव में मध्यम वर्ग के किसान सतीश चोपड़ा के परिवार में 24 दिसंबर 1997 को जन्मे नीरज चोपड़ा बचपन से ही अपने परिवार में सबसे लाड़ले थे। नीरज पांच भाई बहनों में सबसे बड़े हैं। इस दौरान उनके परिजनों ने बताया कि नीरज की जिंदगी उनके दोस्त जयवीर ने बदली। जयवीर ने ही नीरज की लंबाई को देखते हुए उन्हें भाला फेंकने के अभ्यास के लिए प्रेरित किया। इसके बाद दोस्त की सलाह पर नीरज ने जेवलिन थ्रो का अभ्यास करना शुरू कर दिया। लेकिन बड़ा परिवार होने के कारण नीरज को आर्थिक तंगी से भी जूझना पड़ा। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और जी तोड़ मेहनत कर अपने आप को साबित किया। उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि आज नीरज भाला फेंक में बेहतर रिकार्डों के साथ अंतर्राष्ट्रीय एथलीट के रूप में दुनियाभर में जाने जाते हैं। हालांकि, 2019 में उन्हें अपने कंधे की चोट के कारण दोहा में हुए विश्व चैंपियनशिप से भी बाहर होना पड़ा।


कड़ी मेहनत करके हासिल किया लक्ष्य

महज 15 साल की उम्र से ही नीरज ने जेवलिन थ्रो में करियर बनाने की ठानी, लेकिन उनके वजन ने उनका साथ नहीं दिया लगातार बढ़ते बजन के कारण वह काफी परेशान रहने लगे थे, परिवार की माली हालात तो वैसे भी ठीक नहीं थी कि वह अपने लिए ट्रेनर रख पाते या जेवलिन किट खरीद पाते। मगर कहते है ना जब परिवार का सपोर्ट मिले तो क्या से क्या ना हो जाए? उनके माता-पिता ने उनका करियर बनाने के लिए किसी तरह से उनको किट मुहैया करवाई और फिर क्या था अपनी कड़ी मेहनत से नीरज ने अपने बढ़ते वजन को कम किया, लक्ष्य हासिल करने के मकसद से वह दिन में छह से सात घंटे अभ्यास करते थे। उन्होंने 2016 में पहली विश्व स्तर की प्रतियोगिता जूनियर विश्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक जीता। इसी प्रदर्शन की बदौलत उन्हें भारतीय सेना में नायब सूबेदार पर भी नियुक्ति मिली। नीरज के लिए गौरव का क्षण तो उस समय आया, जब वर्ष 2018 के जकार्ता एशियन गेम्स में उसे भारतीय दल की सेंड ऑफ सेरेमनी के समय ध्वजवाहक भी बनाया गया।


नीरज चोपड़ा की उपलब्धियां

-2012 में अंडर-16 नेशनल जूनियर चैंपियनशिप में 68.46 मीटर रिकार्ड, स्वर्ण पदक

-2013 में नेशनल यूथ चैंपियनशिप में दूसरा स्थान लेकर आईएएएफ वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप मिली जगह

-2015 में इंटर-यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में 81.04 मीटर का रिकॉर्ड

-2016 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर का नया विश्व रिकार्ड, स्वर्ण पदक

-2017 में दक्षिण एशियाई खेलों में पहले राउंड में 82.23 मीटर थ्रो के साथ स्वर्ण पदक

-2018 में गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों 86.47 मीटर थ्रो से स्वर्ण पदक

-2018 में जकार्ता एशियन गेम्स में 88.06 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story