Tokyo Olympics: ओलंपिक में पदक के प्रबल दावेदार हैं दीपक पूनिया, रह चुके हैं जूनियर विश्व चैंपियन

Tokyo Olympics: ओलंपिक में पदक के प्रबल दावेदार हैं दीपक पूनिया, रह चुके हैं जूनियर विश्व चैंपियन
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दीपक पूनिया आज तक किसी भी बड़ी प्रतियोगिता से खाली हाथ नहीं लौटे हैं, इसलिए अब उनकी नजर ओलंपिक में पदक जीतने पर होगी।

खेल। पहलवानी के दांव- पेंच में माहिर भारत के युवा पहलवान दीपक पूनिया (Deepak Puniya) टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में 86 किग्रा भार वर्ग में पदक के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। वह आज तक किसी भी बड़ी प्रतियोगिता से खाली हाथ नहीं लौटे हैं, इसलिए अब उनकी नजर ओलंपिक में पदक जीतने पर होगी।

हरियाणा (Haryana) के झज्जर जिले के छारा गांव में 19 मई 1999 में जन्में दीपक ने बचपन से ही गांव के अखाड़े में कुश्ती के दांव-पेंच सीखे। उनके पिता ने हमेशा उन्हें रेसलर बनने के लिए प्रोत्साहित किया, ये एक पिता का प्रोत्साहन और दीपक की मेहनत ही है जो वह ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।

2015 से दीपक के पिता हर दिन 60 किलोमीटर की यात्रा करके अपने बेटे को दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में दूध और फल देने आते थे। ताकी उनके खान-पान में किसी तरह की कमी ना रहे। दीपक की कामयाबी का श्रेय उनके पिता के साथ ही उन्हें कुश्ती के गुर सिखाने वाले कोच वीरेन्द्र पहलवान को भी जाता है। जिनके कारण आज दीपक अंतरराष्ट्रीय पहलवानों की फेहरिस्त में सबसे ऊपर हैं।


पहली ही अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में चैंपियन

पहलवान दीपक पूनिया के कोच वीरेन्द्र पहलवान ने हरिभूमि से बातचीत में बताया कि विश्व कुश्ती रैंकिंग में नंबर दो के पहलवान दीपक पूनिया एक अनुशासित पहलवान है, जिसमें बड़े-बड़े सूरमाओं को पटखनी देने की क्षमता है। साथ ही कोच वीरेन्द्र ने कहा, "कुश्ती के खेल में दिमाग, ताकत, किस्मत और मैट पर शरीर का लचीलापन जरुरी है और दीपक के पास यह सबकुछ है। यही वजह रही कि वह 2016 में अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व कैडेट चैंपियनशिप में चैंपियन बनकर लौटे। महज 17 साल की उम्र में दीपक ने जूनियर विश्व चैंपियन बन गए थे, और 2019 में अपनी पहली सीनियर विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में 86 किग्रा वर्ग में दीपक ने रजत पदक हासिल किया। यहां से ही उन्हें ओलंपिक कुश्ती टीम का टिकट मिला।


छत्रसाल स्टेडियम में बनाया करियर

वहीं कोच वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि 2014 पहलवानी का जज्बा लेकर झज्जर के दीपक छत्रसाल स्टेडियम में आया था। दूसरे पहलवानों की तरह उसने भी ओलंपियन बनने का सपना संजोया। दीपक में कोच ने अन्य पहलवानों से कुछ अलग देखा। तभी से उन्होंने इसे कुश्ती के लिए आगे बढ़ाने के प्रयास किया और यह भी दिलचस्प पहलू है कि इस युवा पहलवान ने कहीं आगे आक मेहनत की। दीपक ने कुश्ती और प्रशिक्षण को जिस प्रकार अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाया, उसी का नतीजा है कि आज वह विश्व के पहलवानों की फेहरिस्त में विशेष स्थान बना चुके हैं।


दीपक पूनिया की उपलब्धियां

-2020 नई दिल्ली एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य

-2019 नूर-सुल्तान विश्व चैंपियनशिप में रजत

-2019 तेलिन विश्व जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण

-2019 शीआन एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य

-2018 ट्रनावा विश्व जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप में रजत

-2018 नई दिल्ली एशियाई जूनियर चैम्पियनशिप में स्वर्ण

-2016 त्बिलिसी विश्व कैडेट चैंपियनशिप में स्वर्ण

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