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Tokyo Olympics: विकास कृष्ण पदक के मजबूत दावेदार, तीसरी बार खेल रहे हैं ओलंपिक में

महज 9 साल की उम्र से ही विकास ने मुक्केबाजी के दांव सीखने शुरु कर दिए। हालांकि, उस समय उन्होंने ये नहीं सोचा था कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुक्केबाजी में देश का नाम रौशन करेंगे।

Tokyo Olympics: विकास कृष्ण पदक के मजबूत दावेदार, तीसरी बार खेल रहे हैं ओलंपिक में
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विकास कृष्ण (twitter)

खेल। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में मुक्केबाजी (Boxing) के 69 किलोग्राम कैटेगरी में विकास कृष्ण यादव (Vikas Krishan Yadav) भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। विकास का जन्म हरियाणा (Haryana) के भिवानी (Bhiwani) जिले में 10 फरवरी 1992 को हुआ। 29 वर्षीय मुक्केबाज तीन बार ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं इसके साथ ही वह कई पदक भी हासिल कर चुके हैं।

मुक्केबाजी में देश का नाम किया रौशन


वहीं विकास की मां दर्शना देवी के अनुसार विकास बचपन में काफी बीमार रहते थे, इसके बाद उन्होंने खेल में रुचि दिखानी शुरु की। खुद को स्वस्थ रखने के लिए उन्होंने बैटमिंटन खेलना शुरु किया, लेकिन भिवानी को मुक्केबाजी का गढ़ माना जाता है जिस कारण वह खुद को मुक्केबाजी से दूर नहीं रख पाए। महज 9 साल की उम्र से ही उन्होंने मुक्केबाजी के दांव सीखने शुरु कर दिए। हालांकि, उस समय उन्होंने ये नहीं सोचा था कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुक्केबाजी में देश का नाम रौशन करेंगे।

कई मेडल किए अपने नाम


विकास ने पहली बार 18 साल की उम्र में साल 2010 के एशियाई खेलों में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतकर महाद्वीपीय प्रतियोगिता में भारत के लिए 12 साल के स्वर्ण पदक के सूखे को खत्म किया था। विकास कृष्ण के पिता कृष्ण यादव ने उम्मीद जताई कि उनका बेटा इस बार ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक हासिल करने अपने सपने को पूरा करेगा। परिवार या उसके गांव को ही नहीं सूबे और देश को भी विकास से स्वर्ण पदक लेकर आने की इसलिए भी उम्मीद है, क्योंकि उसके पास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप, राष्ट्रमंडल खेल, युवा ओलंपिक खेल, एशियन चैंपियनशिप, युवा विश्व चैंपियनशिप में मुक्केबाजी का अनुभव और पंच में दांव पेंच की तकनीक भी है।

पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में गोल्ड


विश्व में छठे नंबर की रैंकिंग में शामिल मुक्केबाज विकास कृष्ण अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। विकास हरियाणा के हिसार में डीएसपी के पद पर भी तैनात है। वहीं इससे पहले वह 2012 लंदन ओलंपिक में पहले दौर में ही बाहर हो गये, लेकिन 2016 के रियो ओलंपिक में उन्होंन अंतिम चार यानी क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया। अपने पिछले दो ओलंपिक में पदक न जीतने के मलाल को भूल जाने के मकसद से टोक्यो ओलंपिक में 69 किलोग्राम भार वर्ग में विकास को अपने मुक्के के पंच से पदक निकलने की उम्मीद है। बता दें कि, विकास कृष्ण यादव भारत के विजेन्दर सिंह के बाद ऐसे दूसरे मुक्केबाज है, जिन्होंने तीन बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है।

विकास की उपलब्धियां


-2010 में एशियाई यूथ चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक

-2011 में विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में कांस्य पदक

-2015 में एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में रजत

-2018 में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक

-2018 में एशियाई खेलों में कांस्य पदक

-2020 में एशियाई मुक्केबाजी में ओलंपिक क्वालीफायर

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