Paralympics Tokyo 2020: मुश्किलों भरा रहा सिंहराज अधाना का सफर, सपना पूरा करने के लिए उनकी पत्नी ने बेचे अपने गहने

Paralympics Tokyo 2020: मुश्किलों भरा रहा सिंहराज अधाना का सफर,  सपना पूरा करने के लिए उनकी पत्नी ने बेचे अपने गहने
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टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय एथलीटों ने कारनामा कर दिखाया है। इस कड़ी में शूटर सिंहराज अधाना भी हैं जिन्होंने शूटिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता। वह 10 मीटर एयर पिस्टल की SH1 कैटेगरी में तीसरे स्थान पर रहे।

खेल। टोक्यो पैरालंपिक (tokyo paralympics 2020) में भारतीय एथलीटों ने कारनामा कर दिखाया है। इस कड़ी में शूटर सिंहराज अधाना (SinghRaj Adhana) भी हैं। जिन्होंने शूटिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता। वह 10 मीटर एयर पिस्टल की SH1 कैटेगरी में तीसरे स्थान पर रहे। हरियाणा (Haryana) के सिंहराज ने चार साल पहले शूटिंग शुरु की थी। जिसके बाद से ही वह पैरालंपिक में मेडल जीतने का ख्वाब संजोए बैठे थे। लेकिन अगर सिंहराज को कामयाबी मिली तो इसके पीछे सिर्फ उनकी मेहनत और संघर्ष है ये कहना अधूरा होगा। दरअसल सिंहराज की कामयाबी के पीछे उनकी पत्नी का त्याग है जिसके बलबूते वह इस मुकाम पर पहुंचे हैं।

दरअसल सिंहराज अधाना एक किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने 35 साल की उम्र में शूटिंग शुरु की। बावजूद इसके उनको अपनी कामयाबी का पूरा यकीन था। उन्होंने अपने सपने के बीच ना अपनी उम्र को आने दिया और ना ही अपनी कमजोरी को आड़े आने दिया। बता दें कि SH1 कैटेगरी में निशानेबाजी करने वाले एथलीट एक ही हाथ से पिस्टल थामते हैं क्योंकि उनके एक हाथ या पांव में विकार होता है। साथ ही निशानेबाजी नियमों के तहत बैठकर या खड़े होकर निशाना लगाते हैं।

हरियाणा के फरीदाबाद के रहने वाले सिंहराज आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं। ऐसे में उनके लिए शूटिंग जैसे महंगे खेल का खर्च उठाना आसान नहीं था। वहीं कुछ समय पहले उन्होंने पीएम मोदी से बातचीत के दौरान बताया था कि उनकी पत्नी ने उनके सपने को पूरा करने के लिए काफी त्याग किया है। उस दौरान उन्होंने पीएम को बताया कि पहला नेशनल मेडल जीतने के बाद ही मैंने तय किया था कि अब मुझे पैरालंपिक में मेडल अपने नाम करना है। इसके लिए मैं बेस्ट पिस्टल और गोलियां खरीदना चाहता था। लेकिन मेरे कोच ने बताया कि ये काफी महंगा है, इसका एक दिन का खर्चा 7 से 8 रूपए होगा। इसके बाद मुझे लगा मेरा सपना टूट जाएगा, लेकिन मेरी पत्नी ने मुझे भरोसा दिलाया और कहा कि वह मेरे फैसले के साथ हैं, उन्होंने मेरे लिए अपनी गहने बेच दिए थे।

सिंहराज ने आगे कहा कि उस समय मेरी मां ने मुझसे कहा कि सुनिश्चित कर लो कि अगर किसी भी तरह की कोई गड़बड़ भी होती है तो हमारी दो जून की रोटी बंद ना हो। मेरे इस सपने को साकार करने में मेरे परिवार का पूरा समर्थन मिला। यही कारण है कि सिंहराज को पैरालंपिक में कामयाबी मिली जिसने पूरे देश को गौरवान्वित किया है।

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