भारत की पहली पैरा शूटिंग चैंपियन सड़क किनारे बेच रही है नमकीन, सरकार नहीं ले रही कोई सुध

खेल। देश को पहली बार महिला पैरा शूटिंग चैंपियनशिप में चैंपियन बनाने वालीं दिलराज कौर इन दिनों अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए सड़क पर नमकीन और बिस्किट बेचने को मजबूर हैं। दिलराज कौर ने देश को न जाने कितने मेडल दिलवाए, लेकिन आज देश ने ही उनको भुला दिया। जिसने महिला पैरा शूटिंग चैंपियन देश के लिए गोल्ड मेडल जीता, अब वही महिला भिखारियों की तरह जीने को मजबूर है। वहीं दिलराज कौर इन दिनों देहरादून में गांधी पार्क के पास नमकीन और बिस्किट बेचकर अपने परिवार का पेट पाल रही हैं।
कई मेडल जीतने पर भी आर्थिक स्थिति खराब
देहरादून के गोविंदगढ़ की रहने वालीं दिलराज कौर अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक शूटर हैं। उन्होंने दो दर्जन से ज्यादा गोल्ड मेडल जीते हैं। लेकिन अब दिलराज किराए की मकान में अपनी माता गुरबीत कौर के साथ रहती हैं और आर्थिक तंगी के कारण गांधी पार्क के पास नमकीन-बिस्किट बेच रहीं हैं।
इस दौरान दिलराज ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब है। उत्तराखंड सरकार उनकी सुध तक नहीं ले रही है। कई बार नौकरी के लिए आवेदन करने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल पाई। आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने से नमकीन बेचकर पेट पालने को मजबूर है। कौर सरकार से उनकी उपलब्धियों और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी देने की मांग कर रही हैं, लेकिन सरकार है कि बेसुध होकर तमाशबीन बनी हुई है।
दिलराज की उपलब्धियां
अंतरराष्ट्रीय पैरा महिला शूटर दिलराज ने 2005 में 29वीं नॉर्थ जोन शूटिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज, चौथी उत्तराखंड स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था। वहीं, केरल में हुई 15वीं ऑल इंडिया जीवी मावलेंकर शूटिंग चैंपियनशिप में चौथी रैंक हासिल की थी। वहीं हैदराबाद में 49वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता और पहली इंटरनेशनल महिला शूटर बनीं। साल 2004 में तीसरी उत्तरांचल स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड, कोयम्बटूर में 14वीं ऑल इंडिया जीवीएम शूटिंग चैंपियनशिप में 12वीं रैंक हासिल कर पहली महिला पैरा शूटर ऑफ इंडिया बनीं।