YEAR ENDER: शह और मात में रहा भारत का दबदबा, शतरंज ओलंपियाड में जीते पदक
इस 45 वर्षीय खिलाड़ी ने नार्वे के कार्लसन को कड़ी चुनौती दी लेकिन आखिर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

नई दिल्ली. भारतीय शतरंज के लिए वर्ष 2014 उतार चढ़ाव वाला रहा तथा जहां पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन सोचि विश्व चैंपियनशिप में अपना खिताब फिर से हासिल करने में नाकाम रहे वहीं भारतीय पुरुष टीम ने 41वें ओलंपियाड में ऐतिहासिक कांस्य पदक हासिल किया।
विश्व चैंपियनशिप का खिताब गंवाने के बाद आनंद ने मार्च में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर नार्वे के मैगनस कार्लसन को चुनौती देने का अधिकार पाया था। कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में दुनिया के चोटी के आठ खिलाड़ी भाग लेते हैं और उसमें जीत से लगने लगा था कि वह फिर से विश्व चैंपियनशिप का खिताब हासिल कर सकते हैं। इस 45 वर्षीय खिलाड़ी ने नार्वे के कार्लसन को कड़ी चुनौती दी लेकिन आखिर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वह 11वीं बाजी थी जिससे आनंद की उम्मीदें टूटी। कार्लसन ने यह बाजी 45वीं चाल में जीतकर 6.5-4.5 से जीत दर्ज की।
भारतीय खिलाड़ी इस बीच केवल तीसरी बाजी में जीत दर्ज कर पाया जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी ने दूसरी, छठी और 11वीं बाजी में जीत हासिल की थी। सोचि विश्व चैंपियनशिप को छोड़ दिया जाए तो बाकी साल आनंद के लिये अच्छा रहा। उन्होंने सितंबर में बिलबाओ फाइनल मास्टर्स का खिताब जीता और फिर लंदन शतरंज क्लासिक में जीत दर्ज करे सत्र का शानदार अंत किया। इसके अलावा उन्होंने विश्व रैपिड शतरंज में कांस्य पदक जीता जबकि विश्व बिल्ट्ज चैंपियनशिप में वह पांचवें स्थान पर रहे। आनंद के अलावा भारत की युवा ब्रिगेड ने भी देश के शतरंज प्रेमियों को खुश किया।
और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App