हिसाब 2016: रियो ओलंपिक भारतीय तीरंदाजों के लिए भुलाने वाला साल
भारतीय तीरंदाजों ने लगातार दूसरे ओलंपिक खेलों में लचर प्रदर्शन किया है।

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haribhoomi.comCreated On: 19 Dec 2016 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. साल 2016 में रियो ओलंपिक भारतीय खिलाड़ियों के लिए थोड़ा निरासाजनक रहा। रियो ओलंपिक में खास कर भारतीय तीरंदाजों ने निराश किया। उनका लचर प्रद्रर्शन इस बात का गवाह है कि उन्होंने सर्वश्रेष्ठ तैयारियों के बावजूद भारत को निराश किया है। भारतीय तीरंदाजों ने लगातार दूसरे ओलंपिक खेलों में लचर प्रदर्शन किया जिससे तीरंदाजी में भारत के लिए साल 2016 काफी निराशाजनक रहा।
तीरंदाज एक महीना पूर्व सबसे पहले रियो पहुंचे थे
हालात से सामंजस्य बैठाने के लिए तीरंदाज लगभग एक महीना पूर्व सबसे पहले रियो पहुंचे थे लेकिन इससे उनके प्रदर्शन में खास असर नहीं पड़ा और वे सबसे पहले खाली हाथ लौटने वाले खिलाड़ियों में शामिल रहे।
टीम क्वार्टर फाइनल में रूस से हार गई
रियो 2016 में तीरंदाजी में दीपिका कुमारी, लैशराम बोमबायला देवी और पदार्पण कर रही लक्ष्मीरानी मांझी की महिला टीम को पदक का दावेदार माना जा रहा था लेकिन टीम क्वार्टर फाइनल में रूस से हार गई जिसने बाद में रजत पदक जीता। बोमबायला और दुनिया की पूर्व नंबर एक दीपिका को मिलाकर पांच ओलंपिक में खेलने का अनुभव हासिल है लेकिन ये अनुभव भी रियो में कोई काम नहीं आ सका।
बोमबायला ने किया प्रभावित
सबसे सीनियर मणिपुर की बोमबायला ने महिला तीरंदाजों में सबसे अधिक प्रभावित किया लेकिन यह पदक के लिए नाकाफी था। व्यक्तिगत वर्ग में दीपिका, बोमबायला और एकमात्र पुरूष तीरंदाज अतनु दास अंतिम 16 चरण से ही बाहर हो गए।
पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले ने किया प्रभावित
पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रहे अतनु ने सबसे अधिक प्रभावित किया और क्वालीफिकेशन में पांचवें स्थान पर रहे लेकिन बाद में तीसरे दौर में बाहर हो गए।
ओलंपिक पदक को छोड़ अन्य सभी उपलब्धियां हासिल की
भारतीय तीरंदाजों ने हालांकि ओलंपिक पदक को छोड़कर लगभग अन्य सभी उपलब्धियां हासिल की। अतुल वर्मा ने चीन के नानजिंग में यूथ ओलंपिक में कांस्य पदक जीता। वर्ष 1988 में सोल में तीरंदाजी को ओलंपिक का हिस्सा बनाया गया लेकिन तब से भारत को इस खेल में अपने पहले ओलंपिक पदक का इंतजार है।
सात बार ओलंपिक में हिस्सा लिया
सिडनी 2000 को छोड़कर भारतीय तीरंदाजों ने सात बार ओलंपिक में हिस्सा लिया लेकिन कोई पदक नहीं मिला। भारतीय तीरंदाजों के लिए हालांकि साल की शुरूआत अच्छी रही जब उन्होंने शिलांग में दक्षिण एशियाई खेलों में क्लीनस्वीप किया। भारत ने रिकर्व वर्ग में दांव पर लगे सभी पांच स्वर्ण और दो रजत पदक जीते।
पांच स्वर्ण और दो रजत जीतकर अपना दबदबा बनाया
इन खेलों में कंपाउंड वर्ग को पहली बार शामिल किया गया और भारत ने उसमें भी पांच स्वर्ण और दो रजत जीतकर अपना दबदबा बनाया। तीरंदाजों ने इन खेलों में कुल 10 स्वर्ण और चार रजत जीते। भारत ने शंघाई में विश्व कप के पहले चरण में एक रजत और दो कांस्य जीते जबकि मेडेलिन में दूसरे चरण के लिए गई दूसरे दर्जे की टीम खाली हाथ लौटी।
रियो के बाद ओडेनसे में चौथे चरण में टीम ने हिस्सा नहीं लिया
ओलंपिक से पहले अंताल्या में तीसरे चरण में भारत के लिए अतनु और दीपिका ने मिश्रित टीम स्पर्धा में रजत पदक जीता लेकिन रियो के बाद ओडेनसे में चौथे चरण में टीम ने हिस्सा नहीं लिया। बैंकाक में इस महीने की शुरुआत में इंडोर तीरंदाजी विश्व कप चरण दो से भी भारतीय टीम खाली हाथ लौटी। वर्ष 2016 में हालांकि दीपिका को पद्मश्री से सम्मानित किया गया जबकि कंपाउंड तीरंदाज रजत चौहान को अर्जुन पुरस्कार मिला।
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