कॉमनवेल्थ गेम्स 2018: भारत को मिला पहला पदक, ट्रक ड्राईवर के बेटे गुरूराजा को मिला रजत पदक

कॉमनवेल्थ गेम्स 2018: भारत को मिला पहला पदक, ट्रक ड्राईवर के बेटे गुरूराजा को मिला रजत पदक
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गोल्ड कोस्ट 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारोत्तोलन में 56 किलोग्राम श्रेणी में पी गुरूराजा को रजत पदक मिलने के साथ भारत का खाता खुला गया है। भारोत्तोलक गुरूराजा ने रजत जीतकर राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का खाता खोला है।
गोल्ड कोस्ट 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारोत्तोलन में 56 किलोग्राम श्रेणी में पी गुरूराजा को रजत पदक मिलने के साथ भारत का खाता खुला गया है। भारोत्तोलक गुरूराजा ने रजत जीतकर राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का खाता खोला है।
गोल्ड कोस्ट भारोत्तोलक पी गुरूराजा ने 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में प्रतिस्पर्धा के पहले ही दिन पुरूषों के 56 किलो वर्ग में रजत पदक जीतकर भारत की झोली में पहला पदक डाला। पच्चीस बरस के गुरूराजा ने अपना सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत प्रदर्शन दोहराते हुए 249 किलो ( 111 और 138 ) वजन उठाया।

मलेशिया के तीन बार के चैम्पियन मोहम्मद इजहार अहमद ने खेलों में नया रिकार्ड बनाते हुए 261 किलो ( 117 और 144 ) वजन उठाकर पीला तमगा जीता। गुरूराजा स्नैच के बाद तीसरे स्थान पर थे जिन्होंने दो प्रयास में 111 किलो वजन उठाया।
क्लीन और जर्क में पहले दो प्रयास में वह नाकाम रहे लेकिन आखिरी प्रयास में 138 किलो वजन उठाकर रजत सुनिश्चित किया। अहमद ने अपने हमवतन हामिजान अमीरूल इब्राहिम का 116 किलो का स्नैच का रिकार्ड बेहतर किया जो उन्होंने 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में बनाया था। उन्होंने ओवरआल रिकार्ड भी तोड़ा जो इब्राहिम के ही नाम था । श्रीलंका के लकमल चतुरंगा को कांस्य पदक मिला।

आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना के निचली श्रेणी के कर्मचारी गुरूराजा का यह पदक उनकी अपार मेहनत और कुछ अच्छी किस्मत का नतीजा है। ट्रक ड्राइवर के बेटे गुरूराजा पहलवान बनना चाहते थे लेकिन कोच की पैनी नजरों ने उनमें भारोत्तोलन की प्रतिभा देखी और इस खेल में पदार्पण कराया । (इनपुट भाषा)

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