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FIFA WC 2018: जब गाजा के आंसुओं से फिर परवान चढ़ा इंग्लैंड का फुटबॉलप्रेम, ब्राजील पर अभी तक नहीं चढा है विश्व कप का खुमार

अपनी सरजमीं पर 1966 में मिली खिताबी जीत के अलावा इंग्लैंड के पास विश्व कप में इतिहास के नाम पर कुछ नहीं है और 1990 में अगर गाजा के आंसू मैदान पर नहीं गिरे होते तो शायद अंग्रेजों का फुटबॉलप्रेम खत्म ही हो गया होता।

FIFA WC 2018: जब गाजा के आंसुओं से फिर परवान चढ़ा इंग्लैंड का फुटबॉलप्रेम, ब्राजील पर अभी तक नहीं चढा है विश्व कप का खुमार
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विश्व कप शुरू होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं लेकिन फुटबॉल की दीवानगी के लिये मशहूर ब्राजील पर इसका सुरूर अभी तक चढता नहीं दिख रहा जो हैरानी का सबब है। ब्राजील की नजरें रिकार्ड छठे खिताब पर होगी लेकिन आम तौर पर फुटबॉल के महासमर से महीनों पहले ही जश्न में सराबोर नजर आने वाले ब्राजीली फुटबॉलप्रेमी खामोश हैं।

इसका कारण स्टार स्ट्राइकर नेमार की खराब सेहत या 2014 विश्व कप में टीम का लचर प्रदर्शन हो सकता है। एक सर्वे के अनुसार 66 प्रतिशत लोगों को आगामी विश्व कप में कोई रूचि नहीं है जबकि 14.5 प्रतिशत को तो यह भी नहीं पता कि टूर्नामेंट कहां हो रहा है। यहां के व्यस्त सारा मार्केट में ड्राइवर सेराफिम फर्नांडिस का कहना है- इस बार कोई उत्साह नहीं है।

लोग परेशान है। चार साल पहले जब ब्राजील में विश्व कप हुआ था तब पूरा देश पीले और हरे रंग में रंगा था। सड़कों पर पीले हरे रंग, इमारतों पर राष्ट्रध्वज लहराने की परंपरा यहां बरसों पुरानी है जो इस बार नजर नहीं आ रही। चालीस साल से यहां विश्व कप के दौरान सड़क पर जश्न मनाने की भी रिवायत है जिसे ‘अलजिराओ' कहते हैं लेकिन इस बार उसे प्रायोजक नहीं मिल रहे।

जब गाजा के आंसुओं से फिर परवान चढा इंग्लैंड का फुटबॉलप्रेम

अपनी सरजमीं पर 1966 में मिली खिताबी जीत के अलावा इंग्लैंड के पास विश्व कप में इतिहास के नाम पर कुछ नहीं है और 1990 में अगर गाजा के आंसू मैदान पर नहीं गिरे होते तो शायद अंग्रेजों का फुटबॉलप्रेम खत्म ही हो गया होता। हुड़दंग, दर्शकों के खराब बर्ताव और स्टेडियमों में घटती उनकी तादाद ने इंग्लैंड में फुटबॉल को लगभग गर्त में पहुंचा दिया था।

फिर 1990 में इटली में विश्व कप हुआ जिसमें न्यूकासल के 23 बरस के मिडफील्डर पाल गेसकोइने उर्फ गाजा के आंसुओं ने देशवासियों में इस खूबसूरत खेल का जुनून फिर लौटाया। इंग्लैंड के सेमीफाइनल तक पहुंचने में गाजा की भूमिका अहम थी। ग्रुप चरण में औसत प्रदर्शन के बाद इंग्लैंड ने अंतिम 16 में बेल्जियम को हराया और क्वार्टर फाइनल में कैमरून को हराकर अंतिम चार में प्रवेश किया जहां सामना चिर प्रतिद्वंद्वी पश्चिम जर्मनी से था।

दोनों टीमों की टक्कर बराबरी की थी। इंग्लैंड ने दबदबा बनाये रखा लेकिन पहला गोल पश्चिम जर्मनी के लिये आंद्रियास ब्रेहमे ने किया। निर्धारित समय से दस मिनट पहले गैरी लिनाकेर ने इंग्लैंड के लिये बराबरी का गोल दागा। अतिरिक्त समय में गाजा को टूर्नामेंट का दूसरा पीला कार्ड दिखाया गया जिससे वह फूट फूट कर रो पड़े। इ

सके मायने थे कि इंग्लैंड फाइनल में पहुंचता तो वह नहीं खेल पाते। इंग्लैंड हालांकि पेनल्टी शूटआउट में हार गया। इस मैच से इंग्लैंड की रूचि फिर फुटबाल में जगी और कमाई भी खूब होने लगी। इंग्लैंड फुटबाल पर धनकुबरों की नजरें इनायत हुई और स्टेडियमों की दशा भी सुधरी। मैदान पर फिर दर्शन उमड़ने लगे।

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