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धोनी की कुछ धुआंधार पारियां जो आज भी सबको याद हैं

धोनी का वो छक्का जिसके बाद भारत फिर विश्व विजेता बना

धोनी की कुछ धुआंधार पारियां जो आज भी सबको याद हैं
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नई दिल्ली. सिंतबर 2007 महेंद्र सिंह धोनी टीम इंडिया के कप्तान बने। सात मैचों की एक दिवसीय सीरीज खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने भारत का दौरा किया था। धोनी की कप्तानी में भारत यह सीरीज 4-2 से हार गया था। फिर 2007 में पाकिस्तान ने पांच मैचों की एक दिवसीय सीरीज खेलने के लिए भारत का दौरा किया और धोनी की कप्तानी में भारत ने यह सीरीज 3-2 से जीती। धोनी की कप्तानी की सबसे ज्यादा तारीफ तब हुई और यही से शुरु हुए एक शानदार कप्तान का अध्याय। धोनी जितना अपनी कप्तानी में शांत रहे उतना ही उनका बल्ला आग उगलता रहा। आइए डालते हैं उनकी कुछ शानदार पारियों पर नजर-
धोनी क्या है और क्या कर सकता है इस बात की पहली झलक देखने को मिली 2004 में विशाखापट्टनम में पाकिस्तान के खिलाफ। मैच में भारत का पहला विकेट जल्द गिर जाता है और कप्तान सौरभ गांगली धोनी को भेजते हैं। उसके बाद जो हुआ ये बात धोनी के हर प्रशंसक को पता है। धोनी ने यहां पर 148 रनों की तूफानी पारी खेलकर क्रिकेट जगत को आपने आने की सूचना दे दी। धोनी का ये पांचवां वनडे मैच था अब तक धोनी ने बल्ले से कुछ खास नहीं कर पाए थे, लेकिन इस मैच में न उन्होंने पहला शतक जड़ा बल्कि उन्होंने खुद को साबित भी किया। धोनी ने अपनी इस पारी में 15 चौके और 4 छक्के लगाए। उनकी इस पारी की बदौलत भारत ने 356 रन का लक्ष्य पाकिस्तान को दिया।
अक्टूबर 2005 को श्रीलंका के खिलाफ। भारत को श्रीलंका ने 299 रनों का लक्ष्य दिया। इस मैच में सचिन जल्द आउट हुए और फिर कप्तान राहुल द्रविड ने धोनी को भेजा। इसके बाद तो बस पूरे मैदान पर धोनी ही छाए रहे। उन्होंने ने इस मैच में 145 गेंदों पर नाबाद 183 रनों की तूफानी पारी खेली। वो तो रन कम पड़ गए वरना वो शायद 200 बनाने वाले पहले खिलाड़ी बन जाते। इस पारी में उन्होंने 15 चौके और 10 छक्के लगाए।
लेकिन वो कहते हैं ने पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त ठीक ऐसा ही कुछ हुआ वर्ल्ड कप 2011 में। इस बार फिर श्रीलंका उनके सामने थी, लेकिन इस बार का मंच बहुत बड़ा था। श्रीलंका ने भारत को 275 का लक्ष्य दिया था, इस बार भी सचिन जल्दी आउट हो जाते हैं। भारत 114 रनों पर तीन विकेट खो चुका होता है और इसके बाद आऩा था युवराज सिंह को लेकिन सब को चौकाते हुए क्रीच पर आते हैं खुद धोनी। और जो हुआ वो सभी क्रिकेट प्रशंसकों को पता है। गंभीर ने इस मैच में 109 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली जबकि धोनी ने अहम 91 रन नाबाद बनाए। इस मैच का सबसे खास लम्हा था, धोनी का वो छक्का जिसके बाद भारत एक बार फिर विश्व विजेता बना।
2013 में वेस्ट इंडीज के पोर्ट ऑफ स्पेन में ट्राई सीरीज के फाइनल में श्रीलंका लगभग जीत दर्ज कर चुका था। भारत को आखिरी ओवर में 15 रनों की जरूरत थी, और हाथ में सिर्फ 1 विकेट था। श्रीलंका जीत के लिए आश्वस्त था, लेकिन धोनी पहली चार गेंदों में 0,6,4,6 रन बनाकर श्रीलंका को ठेंगा दिखाते हुए जीत का ताज ले गए। धोनी 45 रन बनाकर नाबाद लौटे। इस मैच का रोमांच आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है।
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