जानिए कौन है अशोक गहलोत, राजस्थान में CM पद के हैं प्रबल दावेदार, ऐसा रहा उनका राजनीतिक सफर
राजस्थान में अशोक गहलोत सामाजिक कार्यों में अधिक सक्रिय रहे हैं। गरीबों और पिछड़े वर्ग की सेवा में उन्होंने अधिक तत्परता से कार्य किया है।

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 (Rajasthan Assembly Elections 2018) के नतीजे आ चुके हैं। राजस्थान के चुनावी रण में इस बार 2294 प्रत्याशी मैदान में हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे 11 दिसंबर 2018 (Rajasthan Assembly Elections 2018 Results) को घोषित हुए है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसे लेकर भी अटकलें तेज होने लगी हैं। इसलिए राजस्थान में मुख्यमंत्री के पद के लिए अशोक गहलोत का नाम लगातार सुर्खियों में है। साथ ही अशोक गहलोत के अलावा राजस्थान में कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है।
पर गहलोत के नाम पर मोहर लगने की संभावनाएं अधिक हैं। इसलिए हम अशोक गहलोत के रातनीतिक करियर और निजी जिंदगी के बारे में कुछ जरूरी बातें बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कैसा रहा अशोक गहलोत का राजनीतिक करियर...
अशोक गहलोत परिवार-
अशोक गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को जोधपुर राजस्थान में हुआ। स्व॰ श्री लक्ष्मण सिंह गहलोत इनके पिता का नाम है। अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्नातक डिग्री प्राप्त की तथा अर्थशास्त्र विषय लेकर स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की।
छात्र जीवन के समय से राजनीति से जुड़ गए
गहलोत का विवाह 27 नवम्बर, 1977 को श्रीमती सुनीता गहलोत के साथ हुआ। गहलोत के एक पुत्र वैभव गहलोत और एक पुत्री सोनिया गहलोत हैं। गहलोत कॉलेज के टाइम से ही राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहे हैं। गहलोत 7वीं लोकसभा (1980-84) के लिए वर्ष 1980 में पहली बार जोधपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए। उन्होंने जोधपुर संसदीय क्षेत्र का 8वीं लोकसभा (1984-1989), 10वीं लोकसभा (1991-96), 11वीं लोकसभा (1996-98) तथा 12वीं लोकसभा (1998-1999) में प्रतिनिधित्व किया।
सरदारपुरा (जोधपुर) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होने के बाद गहलोत फरवरी, 1999 में 11वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य बने। गहलोत दोबारा इसी विधानसभा क्षेत्र से 12वीं राजस्थान विधानसभा के लिए 2003 को निर्वाचित हुए। फिर 13वीं राजस्थान विधानसभा के लिए 2008 को सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से ही दोबारा निर्वाचित हुए।
कांग्रेस और गांधी परिवार में निभाईं अभूतपूर्ण भूमिका
उन्होंने स्व॰ श्रीमती इन्दिरा गांधी, स्व॰ श्री राजीव गांधी तथा स्व॰ श्री पी.वी.नरसिम्हा राव के मंत्रिमण्डल में केन्द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया। वे तीन बार केन्द्रीय मंत्री बने हैं। जब स्व॰ श्रीमती इन्दिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं उस समय अशोक गहलोत 1982 से 1984 की अवधि में श्रीमती इन्दिरा गांधी के मंत्रीमण्डल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री रहे। इसके बाद गहलोत खेल उपमंत्री बनें। उन्होंने 1984 से 1984 तक खेल मंत्रालय में कार्य किया।
इसके बाद 1984 से 1984 की अवधि में इसी मंत्रालय में कार्य किया। उनकी इस कार्यशैली को देखते हुए उन्हें केन्द्र सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया। 1984 से 1985 की अवधि में श्री गहलोत ने केन्द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके पश्चात् उन्हें केन्द्रीय कपड़ा राज्य मंत्री बनाया गया। यह मंत्रालय पूर्व प्रधानमंत्री के पास था तथा श्री गहलोत को इसका स्वतंत्र प्रभार दिया गया। श्री गहलोत इस मंत्रालय के 1991 से 1993 तक मंत्री रहे। जून, 1989 से नवम्बर, 1989 की अल्प अवधि के बीच श्री गहलोत राजस्थान सरकार में गृह तथा जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मंत्री रहे हैं।
जनवरी, 2004 से 16 जुलाई 2004 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमन्त्रित सदस्य के रूप में कार्य किया। 17 जुलाई 2004 से 18 फ़रवरी 2009 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया। इसके अलावा आपको बता दें कि गहलोत सामाजिक कार्यों में अधिक सक्रिय रहे हैं।
गरीबों के लिए सामाजिक कार्य
गरीबों और पिछड़े वर्ग की सेवा में उन्होंने अधिक तत्परता से कार्य किया है। श्री गहलोत ने पश्चिम बंगाल के बंगाँव और 24 परगना जिलों में वर्ष 1971 में बंग्लादेश युद्ध के दौरान आयोजित शरणार्थी शिविरों में काम किया। समाज सेवा गहलोत ने तरूण शान्ति सेना द्वारा सेवाग्राम, वर्धा औरंगाबाद, इन्दौर तथा अनेक जगहों पर आयोजित शिविरों में कार्य किया।
कच्ची बस्ती और झुग्गी क्षेत्रों के विकास के लिए अपनी सेवाएं दी। नेहरू युवा केन्द्र से उन्होंने प्रौढ शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गहलोत राजीव गांधी स्टडी सर्किल, नई दिल्ली के भी अध्यक्ष हैं। यह संस्था देशभर के विश्वविद्यालय/महाविद्यालय के छात्रों एवं शिक्षकों के हितों की देखभाल करती है।
कई क्षेत्रों और पदों पर संभाला कार्यभार
अशोक गहलोत 1998 से 2003 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। उनका यह कार्यकाल अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों के अलावा अभूतपूर्व सूखा प्रबन्धन, विद्युत उत्पादन, संसाधनों का विकास, रोजगार सृजन, औद्योगिक और पर्यटन विकास, कुशल वित्तीय प्रबन्धन और सुशासन के लिए जाना जाता है। मुख्यमंत्री के रूप में गहलोत ने काफी कार्य किया है।
राजस्थान में अकाल प्रबन्धन का कार्य किया। उस समय अकाल प्रभावित लोगों के पास इतना अनाज पहुँचाया गया था जितना अनाज ये लोग शायद अपनी फसलों से भी प्राप्त नहीं कर सकते थे। गहलोत ने 'पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ' का नारा दिया गहलोत को 13 दिसम्बर, 2008 को दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 8 दिसम्बर, 2013 के चुनावी नतीजों के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा के दिया था।
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