सीधे सूर्यग्रहण देखने से कई बच्चों की आंखों रोशनी गई, डाक्टरों ने कहा नहीं होगी ठीक
जयपुर में बिना सुरक्षा चश्मे के सूर्यग्रहण देखने से 15 बच्चों के आंखों की रोशनी 70 प्रतिशत तक कम हो गई है।

पुराने जमाने के लोगों की बात और विज्ञान के बीच हमेशा से ही दूरी रही है। आज का युवा पुराने विचारों को दरकिनार करते हुए अपनी मनमानी करने से भी नहीं कतरा रहा है। पुरानी धाराणाओं पर जाएं तो सूर्यग्रहण लगने पर लोग काफी सारे परहेज करते थे। परंतु आज ऐसी सोच को दकियानूसी सोच कहकर टाल दिया जाता है। ऐसा ही एक मामला राजस्थान के जयपुर से सामने आया है। यहां बिना सुरक्षा के सूर्यग्रहण देखने से दर्जनों बच्चों, युवकों और लोगों की आंखें जीवनभर के लिए धुंधली हो चुकी हैं। डाक्टरों के अनुसार अब इन बच्चों की आंखे भविष्य में कभी पूरी तरह से सही नहीं हो पाएगी। एसएमएस के नेत्र विभाग में पिछले कुछ दिनों में 15 से अधिक ऐसे बच्चे सामने आ चुके हैं, जिनकी कोई ना कोई आंख 40 से 70 फीसदी तक खराब हो चुकी हैं।
सूर्यग्रहण देखने की वजह दिखना हुआ कम
26 दिसम्बर को हुए सूर्यग्रहण पर शहर के कई बच्चों ने इसे बिना किसी सुरक्षा के चश्मे से देख लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि कई बच्चों की आंखे खराब हो गई। सभी बच्चों के परिजन इस बात को लेकर परेशान है। बच्चों कह आंखे आगे भी ऐसी ही रहेगी। सुधार को लेकर डाक्टरों ने साफ तौर पर मना कर दिया है।
कैसे पहुंचता है आंखों को नुकसान
डाक्टरों ने बताया कि आमतौर पर तेज रोशनी के चलते सूर्य को हम खुली आंखों से नहीं देख सकते। अगर देखना भी चाहे तो हम 2 से 5 सैंकड से ज्यादा नहीं देख सकते। सूर्यग्रहण के दौरान जब सूरज की रोशनी कम हो जाती है। ऐसे में हम उसे आसानी से पूरी आंखें खोलकर देख सकते है। ऐसे में रेडियेशन का प्रभाव अधिक रहता है। ऐसे में अधिक देर तक सूरज को देखते रहने पर रेडिएशन सीधे रेटिना को डेमेज कर देती है। जिससे हमारी आंखों की रोशनी कम हो जाती है। कई बार तो आंखे पूरी तरह से खत्म होने का खतरा भी बना रहता है।