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पंजाबः न केस, न कोर्ट का चक्कर, 1100 रुपये में तलाक करवा रहा यह पुलिस स्टेशन

पंजाब के होशियारपुर से चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां दसूहा महिला विंग पुलिस कथित तौर पर कानून को ताक पर रखकर पैसे लेकर पति-पत्नियों के बीच चल रहे विवादों का निपटारा इकरारनामा तलाक से करवा रही है।

पंजाबः न केस, न कोर्ट का चक्कर, 1100 रुपये में तलाक करवा रहा यह पुलिस स्टेशन
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Dasuha Womens Police Wing settling husband wife disputes by getting divorced for Rs 1100

पंजाब के होशियारपुर से चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां दसूहा महिला विंग पुलिस कथित तौर पर कानून को ताक पर रखकर पैसे लेकर पति-पत्नियों के बीच चल रहे विवादों का निपटारा इकरारनामा तलाक से करवा रही है। बीते गुरुवार को तीन ऐसे मामले सामने आए जिसमें पुलिस की रहनुमाई में गणमान्य लोगों की मौजूदगी में तलाक करवाए गए। थाना दसूहा महिला सेल के सूत्रों के मुताबिक पति-पत्नी के बीच चल रहे घर के जो विवाद थाने तक पहुंचते हैं अस्सी फीसदी ऐसे ही निपटाए जा रहे हैं।

स्थानीय मीडिया की खबरों के मुताबिक इलाके में पति-पत्नी के झगड़ों से जुडे मामले जब होशियारपुर के एसएसपी के पास पहुंचते हैं तो वह लोगों की सहूलियत को देखते हुए ऐसे मामलों को दसूहा महिला पुलिस स्टेशन के पास भेज देते हैं लेकिन यहां इकरारनाम तलाक करके मामले को खत्म कर दिया जाता है। बता दें कि इस तरह तलाक की प्रक्रिया को कोर्ट कोई मान्यता नहीं देता है।

वहीं दसूहा महिला थाना की एसएचओ जसमेल कौर ने कहा कि यहां इस तरह तलाक नहीं करवाया जाता है। जबकि दसूहा के डीएसपी अनिल भनोट इस मामले किसी जानकारी होने से इनकार कर रहे हैं।

खबरों के मुताबिक तहसील के टाइपिस्ट अपने साथ जो तीन पेज का स्टाम्प पेपर लाता है उस पर पहले से ही इकरारनामा तलाक लिखा हुआ होता है और उसमें सिर्फ पति-पत्नी का नाम व गवाह के रूप में उपस्थित मोहतबरों के दस्तखत करवानी की ही प्रक्रिया बाकी रहती है।

पति तत्नी के बीच होने वाले झगड़े के मामले में एसएसपी होशियारपुर जैसे ही दसूहा महिला थाने भेजते हैं तब वहां पर पति पत्नी के थाने बुलाया जाता है। पहली बार पुलिस दोनों पक्षों को समझाती है कि आपस में समझौता कर लो और इकट्ठे रहें जब दोनों में से कोई पक्ष नहीं मानता है तो उन्हें अगली तारीख दे दी जाती है।

जब पति पत्नी अगली तारीख पर थाने पहुंचते हैं तब एक बार फिर पुलिस दोनों को मनाने की कोशिश करकती है लेकिन जब बात नहीं बनती तो फिर दोनों पक्षों को तीसरी तारीख देते हुए कहा जाता है कि उक्त तारीख पर अपने साथ गांव के गणमान्य व्यक्ति लेकर आना और जब तीसरी तारीख पर गणमान्य व्यक्ति पहुंचते हैं तो उनके मामले को देख रहे पुलिस अधिकारी की ओर से बताया जाता है कि अब इनका तलाक होगा जिस पर दोनों पक्ष सहमत हो जाते हैं।

इसके बाद पुलिस की ओर से स्थानीय तहसील कॉम्पलेक्स से एक पक्के टाइपिस्ट को बुलाया जाता है जो अपने साथ पांच सौ रुपये का स्टाम्प पेपर (अष्टाम) लेकर आता है जिसकी फीस सात सौ रुपये लेता है, उक्त अष्टाम जो कि तीन पेज का होता है पहले ही इकरारनामा तलाक लिखा होता है और उसमें सिर्फ पति पत्नी का नाम समेत गणमान्यों (मोहतबरों) के दस्तखत करवाने होते हैं जब यह काम पूरा हो जाता है तब टाइपिस्ट की ओर से चार सौ रुपये लिए जाते हैं और इस तरह 1100 रुपए में तलाक करवा दिया जाता है।

यह पूरा घटनाक्रम भले ही पुलिस की देखरेख में चलता है लेकिन आखिर में जब अष्टाम पर तलाक की बात खत्म होती है तब पुलिस का कोई अधिकारी इस पर दस्तखत नहीं करता ताकि अगर किसी मामले में बात बिगड़ती है तो उसकी भूमिका पर सवाल न उठाया जा सके।

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