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निरंकारी भवन में हुए हमले पर उठे सवाल, कहीं आतंवाद की धमक तो नहीं

पंजाब के अमृतसर में निरंकारी भवन में हुए बम ब्लास्ट लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। मसलन हमले के लिए आतंकियों ने रविवार के दिन का ही चयन क्यों किया गया। जिस समय ग्रेनेड फेंका गया, उस समय निरंकारी भवन में सत्संग चल रहा था। रविवार का दिन था, तो काफी संख्या में लोग मौजूद थे।

निरंकारी भवन में हुए हमले पर उठे सवाल, कहीं आतंवाद की धमक तो नहीं
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पंजाब के अमृतसर में निरंकारी भवन में हुए बम ब्लास्ट लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। मसलन हमले के लिए आतंकियों ने रविवार के दिन का ही चयन क्यों किया गया। जिस समय ग्रेनेड फेंका गया, उस समय निरंकारी भवन में सत्संग चल रहा था। रविवार का दिन था, तो काफी संख्या में लोग मौजूद थे।

करीब 200 लोगों के होने की बात कही जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि रविवार का दिन ही क्यों चुना गया, क्या ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान लेने की प्लानिंग थी। अमृतसर में निरंकारी भवन में ग्रेनेड हमले के पीछे का मकसद कहीं पंजाब में फिर से आतंकवाद की दस्तक तो नहीं। क्योंकि हाल ही में कुछ समय पहले आर्मी चीफ ने कहा था कि बाहरी ताकतें पंजाब में फिर से उग्रवाद को जिंदा करने की कोशिश कर रही हैं।

उन्होंने चेताया था कि जल्द ही कोई कार्रवाई नहीं की गई तो बहुत देर हो जाएगी।

हाईअलर्ट के बावजूद हमला कैसे हुआ
5 दिन पहले जम्मू से आए चार लोगों ने पंजाब बॉर्डर पर एक कार हाईजैक कर ली थी। उनका अभी तक कोई सुराग नहीं लगा। दो दिन पहले अमृतसर में आतंकी मूसा के होने की खबर थी। इसके चलते पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया था। प्रदेश भर में कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे, बावजदू इसके हमला हो गया। यह प्रशासन की बड़ी चूक है।
ग्रेनेड और पिस्टल लेकर कैसे पहुंचे
कार हाईजैक होने के चलते और आतंकी मूसा के प्रदेश में होने की खबर के बाद पंजाब में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया था। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात थे। हर आने जाने वाले की चेकिंग की जा रही थी। बीएसएफ भी अलर्ट पर थी, उसके बावजूद हमलावरों को ग्रेनेड और पिस्टल कैसे मिले। वे हथियार लेकर निरंकारी भवन तक कैसे पहुंचे। क्या रास्ते में कहीं उनकी चेकिंग नहीं की गई।
1978 में भी निरंकारी भवन पर हुई थी हिंसा
पंजाब में उग्रवाद की शुरुआत 13 अप्रैल 1978 को वैसाखी के दिन हुई एक हिंसक घटना से हुई थी। तब अमृतसर में निरंकारी भवन पर हमला किया गया था। इसके बाद अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, इसमें 13 अकाली कार्यकर्ता मारे गए थे। रोष दिवस में सिख धर्म प्रचार की संस्था के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। कई पर्यवेक्षक इस घटना को पंजाब में चरमपंथ की शुरुआत के तौर पर देखते हैं।
पुलिस ने जताई आतंकी हमले की आशंका
ग्रेनेड हमले को लेकर पंजाब पुलिस का कहना है कि यह आतंकवादी हमला हो सकता है। पंजाब पुलिस के डीजीपी सुरेश अरोड़ा ने कहा, इस घटना में आतंकी ऐंगल मालूम पड़ता है। इसकी वजह यह है कि अटैक किसी व्यक्ति पर न होकर एक समूह पर हुआ है। लोगों के एक समूह पर ग्रेनेड से हमला करने का कोई कारण नहीं बनता है। इसलिए हम इस घटना को आतंकी हमले के ऐंगल से देख रहे हैं। हालांकि जांच के बाद ही सच्चाई पता चलेगी, लेकिन पहली नजर में हम इसे आतंकी हमले के तौर पर ही देख रहे हैं।

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