योजना आयोग को नया रूप देने की कवायद
कांग्रेस इसका विरोध यह कहकर कर रही है कि योजना आयोग कांग्रेस की विरासत है और मोदी सरकार इसे खत्म कर रही है।

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से दिए भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ शब्दों में कह दिया था कि योजना आयोग अपनी प्रासंगिकता खो चुका है। लिहाजा अब देश को इसके स्थान पर एक नई संस्था की जरूरत है। वैसे भी 1950 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तात्कालिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए योजना आयोग को बनाया था, लेकिन इतने वर्षों के बाद आज न केवल देश की आंतरिक जरूरतें बदली हैं बल्कि राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था का स्वरूप व चरित्र भी बदल गया है।
अब हम आर्थिक उदारवाद और वैश्विक अर्थव्यवस्था के युग में प्रवेश कर चुके हैं। आजादी के बाद करीब दो दशकों तक केंद्र और राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार होने से संवादहीनता की समस्या नहीं आती थी, लेकिन अब केंद्र-राज्य संबंधों में भी काफी उतार-चढ़ाव देखे जाने लगे हैं। इन सारी चुनौतियों से निपटने में योजना आयोग अक्षम दिख रहा था। हालांकि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने नई संस्था के स्वरूप के बारे में कुछ नहीं कहा था, तब उन्होंने इतना जरूर कहा था कि नई संस्था कैसी होगा यह व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही तय होगा। तभी से देश भर से ढेरों सुझाव सरकार को मिलने लगे थे।
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