सलेम के बाद अब दाऊद को पकड़ना जरूरी
मुंबई धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गई थी, 713 गंभीर रूप से घायल हुए थे

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को 12 मार्च, 1993 को दो घंटे में 12 सीरियल धमाकों से दहलाने के केस में 24 साल बाद अदालत ने फैसला सुनाया है। 24 साल काफी लंबा वक्त है। इस तरह के केस में इतना वक्त लगना बहुत देर से न्याय मिलने जैसा है।
उसमें भी जब मामला विशेष टाडा अदालत में चल रहा हो। चूंकि यह हमला देश की आत्मा पर किया गया था, देश की अस्मिता पर किया गया था, इसलिए इसमें इतना वक्त नहीं लगना चाहिए था। इतने वक्त लगने से पीड़ितों को न्याय पाने की आस भी खत्म हो जाती है।
खैर देर से ही सही, विशेष टाडा अदालत ने इस केस में अबू सलेम समेत छह अभियुक्तों को दोषी करार दिया है और एक आरोपित अब्दुल कयूम को बरी किया है। इन सभी दोषियों को 19 जून को सजा सुनाई जाएगी। मुंबई धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गई थी, 713 गंभीर रूप से घायल हुए थे और करीब 27 करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई थी।
भारत के इतिहास में यह सबसे बड़ा आतंकी सीरियल ब्लास्ट था। सीबीआई के मुताबिक मुंबई सीरियल धमाके दुनिया का पहला ऐसा आतंकी हमला था, जहां दूसरे विश्वयुद्ध के बाद इतने बड़े पैमाने पर आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया।
धमाकों से पहले दुबई में 15 बैठक हुई थीं। कहा जाता है कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा के विध्वंस का बदला लेने के लिए मुंबई को सीरियल धमाकों से दहलाया गया था।
इस मामले में यह दूसरा फैसला है। गैंगस्टर अबू सलेम पर गुजरात से मुंबई हथियार ले जाने, साजिश और मदद का आरोप है। सलेम को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था। पुर्तगाल से प्रत्यर्पण संधि होने के कारण टाडा अदालत सलेम को फांसी या आजीवन कारावास की सजा नहीं दे सकेगी।
उसे अधिकतम 25 साल तक की सजा दी जा सकती है। इस संधि के चलते अदालत के सामने विवशता होगी कि वह इस केस में सलेम को कठोर सजा नहीं दे पाएगी, हालांकि ऐसे केस में संदेश देने के लिए कठोर सजा देने की जरूरत है। बाकी दोषियों-मुस्तफा दौसा, करीमुल्ला खान, फिरोज अब्दुल रशीद खान, रियाज सिद्दीकी, ताहिर मर्चेंट को कठोर सजा दी जा सकती है। दौसा को 2003 में दुबई से भारत लाया गया था।
इससे पहले वर्ष 2006 में पूरी हुई सुनवाई के पहले चरण में टाडा अदालत ने इस केस में याकूब मेमन और संजय दत्त समेत 100 अभियुक्तों को दोषी ठहराया था, जबकि 23 लोग बरी हुए थे। 100 में से 12 को फांसी की सज़ा हुई है। इस मामले के मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम के भाई व मुंबई ब्लास्ट के दोषी याक़ूब मेमन को 30 जुलाई 2015 को महाराष्ट्र के यरवडा जेल में फांसी दी जा चुकी है।
अवैध हथियार मामले में संजय दत्त अपनी सजा पूरी कर चुके हैं। सलेम केस केस की 2011 में सुनवाई शुरू हुई थी। पूरी सुनवाई इस साल मार्च में खत्म हुई थी। इस मामले में यह फैसला आखिरी है, क्योंकि अब कोई भी आरोपी कस्टडी में नहीं है, लेकिन हमले के मुख्य साजिशकर्ता दाऊद इब्राहिम, अनीस इब्राहिम, टाइगर मेमन व मोहम्मद दौसा समेत 33 आरोपित अब भी फ़रार हैं।
इन्हें दबोचना भी जरूरी है, क्योंकि अभी तक दोनों ही फैसले में हमले में मददगारों को अंजाम तक पहुंचाया गया है, लेकिन मुख्य अभियुक्त दाऊद नहीं पकड़ा गया है। अब सरकार के सामने बड़ी चुनौती दाऊद इब्राहिम को पकड़ने की है। सरकार को पता भी है कि दाऊद कराची में छिपा बैठा है।
हालांकि भारत के सबूत देने के बावजूद पाक दाऊद के कराची में होने से इनकार करता रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में कहा था कि सरकार दाऊद को पकड़ने की योजना पर काम कर रही है। जब तक सरकार सभी गुनहगारों को सजा नहीं दिलवा देती है, तब तक फैसलों को अधूरा ही माना जाएगा।
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