मनमोहन सिंह को किस रूप में देखेगा इतिहास
सोलहवीं लोकसभा के लिए चुनाव प्रचार थम गया है। सोमवार को अंतिम और नौवें चरण का मतदान भी समाप्त हो जाएगा।

यही वजह है कि उन पर अब तक के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री होने के आरोप लगे। देश के अंदर भी काफी उथल पुथल की स्थिति रही, जिसका वे कूटनीतिक हल निकालने में विफल रहे। गठबंधन में शामिल सदस्य दल भी बार-बार उन्हें हथियार डालने पर मजबूर करते रहे। यहां भी उन्होंने अपने कमजोर नेतृत्व का परिचय दिया। अब डॉ. मनमोहन सिंह भावी प्रधानमंत्री को जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी में हैं। 16 मई को नतीजे आने के बाद वे अंतिम रूप से देश को संबोधित करेंगे, तब भले ही अपने कार्यकाल को बेहतर बताने के लिए आंकड़ों का सहारा लें, परंतु जब कभी भी निष्पक्षता से सोचेंगे तो उनको अपनी विफलताएं भी नजर आएंगी, जो कि उनकी थोड़ी बहुत उपलब्धियों पर भारी पडे़गी।
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