नरेन्द्र सिंह तोमर का लेख : किसानों का हो रहा सशक्तिकरण
आजादी के बाद देश में कई क्षेत्रों में सुधार एवं उन्नयन की जरूरत महसूस की जाती रही है। कुछ दिशाओं में सुधार के कदम उठाए गए, किंतु अधिकांश में सात दशक तक पुराने ढर्रे पर ही काम चलता रहा। इस समय भारतीय कृषि नव परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। दुनिया में हर नौवां कृषि तकनीक आधारित र्स्टाटअप भारतीय है। विगत एक दशक में कृषि एवं इससे जुड़े तकनीकी एवं एग्री बिजनेस की ओर युवाओं का रुझान बढ़ा है। खेती से एक बार फिर नौजवान जुड़ रहे हैं, क्योंकि अब इसमें ज्यादा लाभ नजर आ रहा है। सात दशकों से जिन कृषि सुधारों की सिर्फ बातें की जाती रही थीं, प्रधानमंत्री मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति ने उन्हें जमीन पर उतारा है।

नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि मंत्री
नरेन्द्र सिंह तोमर
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। हमारे देश का लगभग 44 फीसदी श्रमबल खेती से जुड़ा है। देश की 70 फीसदी आबादी खेती पर ही निर्भर है। इतनी बड़ी आबादी के कृषिकार्य से जुड़े होने के बावजूद चिंता का विषय यह है कि इस क्षेत्र का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान सिर्फ 18 फीसदी ही है। इस क्षेत्र का महत्व इसलिए भी है कि सतत विकास के लक्ष्य-जीरो हंगर को पूर्ण करने एवं पोषण संबंधी जरूरतों की प्रतिपूर्ति को कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव करके ही हासिल किया जा सकता है।
आजादी के बाद देश में कई क्षेत्रों में सुधार एवं उन्नयन की जरूरत महसूस की जाती रही है। कुछ दिशाओं में सुधार के कदम उठाए गए, किंतु अधिकांश में सात दशक तक पुराने ढर्रे पर ही काम चलता रहा। सरकारों ने अपने राजनीतिक लाभ अथवा पॉलिसी पैरालिसिस की जकड़न में कृषि क्षेत्र को किसानों के भरोसे ही छोड़ दिया। कृषि क्षेत्र का पुनर्जीवन कर इसे मुख्यधारा में लाने के कई अहम प्रयास विगत सात वर्षों में मोदी सरकार द्वारा किए गए हैं और इन सुधारों के सकारात्मक परिणाम दृष्टिगोचर होने लगे हैं। कृषि सुधार कानूनों के माध्यम से भारतीय कृषि के एक सुखद एवं समृद्ध भविष्य की नींव रखी गई है। कृषक उपज व्यापार तथा वाणिज्यन (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2020 के माध्यम से किसानों की मंडी में ही अपनी उपज बेचने की बाध्यता से मुक्ति मिली है। देश में हर निर्माता अपना उत्पाद कहीं पर भी बेच सकता है। सरकार का यह कदम कृषि के क्षेत्र में 'एक देश-एक बाजार' की संकल्पना को पूर्ण करता है। किसानों के पास मंडी में अपनी उपज बेचने का विकल्प पूर्ववत है, और हमनें मंडियों के सशक्तिकरण की दिशा में भी कार्य किया है।
किसानों के लिए बुवाई से पहले ही उचित मूल्य की गारंटी दिलाने के उद्देश्य से ही कृष ( सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम, 2020 का प्रावधान किया गया है। संविदा खेती के माध्यदम से किसानों को खेती के लिए आधुनिक संसाधन एवं सहयोग भी प्राप्त हो सकेगा।
कृषि क्षेत्र के उत्थान के लिए सबसे आवश्यक यह था कि सरकार इसका बजट बढ़ाए, ताकि अधिकतम संसाधनों के माध्यम से खेती किसानी की दशा और दिशा में बदलाव किए जा सकें। कृषि विभाग के बजट में सात साल में साढ़े पांच गुना की वृद्धि हुई है। 2013-14 में केंद्र सरकार के कृषि विभाग का बजट सिर्फ 21933.50 करोड़ रुपये था जो कि 2021-22 में बढ़कर 1 लाख 23 हजार करोड़ रुपये हो गया। कृषि में किसान को मौजूदा हालात से उबरने में तात्कालिक मदद करके भविष्य की जरूरतों को देखते हुए ठोस काम करने की जरूरत थी। मोदी सरकार इन पहलुओं को ध्यान में रखकर ही लगातार काम कर रही है। किसानों की आय सुधारने के विषय में सबसे पहला सवाल यही उठता रहा है कि उसे उपज के उचित और लाभकारी दाम नहीं मिलते। सरकार ने रबी, खरीफ तथा अन्य व्यावसायिक फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी की है। 2018-19 से उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर एमएसपी तय की जा रही है। इससे प्रत्यक्ष लाभ तो एमएसपी पर उपज बेचने वाले किसानों को हुआ ही, बाजार में भी तुलनात्मक रूप से दाम बढ़े हैं और किसानों को लाभ पहुंचा है। वर्ष 2013-14 से 2021-22 की तुलना में धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 48 प्रतिशत से ज्यानदा तो गेहूं के समर्थन मूल्ये में लगभग 44 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। दलहन-तिलहन का रकबा बढ़ाने के लिए उनके समर्थन मूल्यह पर उपार्जन में रिकार्ड वृद्धि कर किसानों को लाभ पहुंचाया है। पांच वर्षों में दलहन की खरीद पर 56,798 करोड़ रुपये का व्यय किया गया जो यूपीए सरकार से 88 गुना ज्यादा है। 'एक राष्ट्र, एक एमएसपी, एक डीबीटी' की अवधारणा ने किसानों के सशक्तिकरण की दिशा में अहम भूमिका का निर्वहन किया है। किसानों को आर्थिक रूप से सशक्ति करने की दिशा में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि भी उल्लेखनीय प्रयास है। प्रतिवर्ष किसानों को तीन समान किश्तों में कुल छह हजार रुपये की सम्मान निधि देने का उद्देश्य यह है कि वे समय पर खाद, बीज, सिंचाई जैसी आवश्यपकताओं को पूर्ण करने के साथ ही परिवार की जरूरतें भी पूरी कर पाएं। 2019 से प्रारंभ हुए इस अभियान के तहत अब तक 11.36 करोड़ किसान परिवारों को 1,58,527 करोड़ रुपये प्रदान किए जा चुके हैं। किसान की एक बड़ी समस्या कृषि में लगने वाली लागत एवं समय पर धनराशि की व्यावस्था न हो पाना रही है। विगत 7 वर्ष में सरकार ने इस समस्या को समाप्त करने कार्य किया है। वर्ष 2020-21 तक कुल 6.60 करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान किए जा चुके हैं।
वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग यूनिट जैसे जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का किसानों की पहुंच से दूर होना किसानों की उपज मूल्य, संवर्धन में आड़े आता है। केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक लाख करोड़ रुपये के कृषि अवसंरचना कोष की स्थापना कर इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस कोष के माध्यम से गांवों में फसलोपरांत प्रबंधन अवसंरचना एवं सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के निर्माण पर 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर 3 प्रतिशत ब्याज छूट और कृषि गांरटी सहायता प्रदान की जा रही है। गांवों में बनने वाले एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर से जहां 'फार्म टू फोर्क' की अवधारणा मूर्त रूप ले रही है वहीं किसानों को उपज के संवर्धित दाम के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के संसाधन विकसित होने के अवसर भी सृजित हो रहे हैं। यह अभिनव प्रयास भविष्य में भारतीय कृषि में एक नया अध्याय जोड़ेगा।
अर्थशास्त्रियों का मत है कि भारत में कृषि क्षेत्र में सिर्फ 1 प्रतिशत की दर से की गई वृद्धि, गैर कृषि क्षेत्रों के मुकाबले तीन गुना लाभदायक साबित होती है। इस समय भारतीय कृषि नव परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। दुनिया में हर नौवां कृषि तकनीक आधारित र्स्टाटअप भारतीय है। विगत एक दशक में कृषि एवं इससे जुड़े तकनीकी एवं एग्री बिजनेस की ओर युवाओं का रुझान बढ़ा है। खेती से एक बार फिर नौजवान जुड़ रहे हैं, क्योंकि अब इसमें ज्यादा लाभ नजर आ रहा है। सात दशकों से जिन कृषि सुधारों की सिर्फ बातें की जाती रहीं थीं, प्रधानमंत्री मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति ने उन्हें जमीन पर उतारा है। किसान की आय बढ़े, वो बिचौलियों से मुक्ति पाए और भारतीय खेती को वैश्विक स्तर पर स्थापित हो पाए यही संकल्प लेकर सरकार आगे बढ़ी है। कृषि और किसान दोनों आत्मिनिर्भर बनें यही राष्ट्र का संकल्प है।
(लेखक केंद्रीय कृषि मंत्री हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)