Hari bhoomi hindi news chhattisgarh
toggle-bar

वैज्ञानिकों की नई खोज, 3 हजार साल पहले लगा था पहला सूर्यग्रहण

लंदन के वैज्ञानिकों ने सबसे पुराने दर्ज सूर्य ग्रहण की तारीख का पता लगाया है।

वैज्ञानिकों की नई खोज, 3 हजार साल पहले लगा था पहला सूर्यग्रहण
X

लंदन के वैज्ञानिकों ने सबसे पुराने दर्ज सूर्य ग्रहण की तारीख का पता लगाया है। यह सूर्य ग्रहण ईसा से 1207 साल पहले 30 अक्टूबर को लगा था। यह घटनाक्रम ईसाइयों के धर्मग्रंथ बाइबल में भी दर्ज है। बाइबल की इबारत तथा प्राचीन मिस्र के विषय को एक साथ लेकर अनुसंधानकर्ताओं ने मिस्र के फिरऔन, खास तौर से रामेसेस द ग्रेट के शासनकाल का पता लगाया।

जोशुआ की एक किताब ओल्ड टेस्टामेंट से बाइबल की इबारत का पता चला। किताब ने बाइबल के विद्वानों को शताब्दियों तक परेशान कर के रखा हुआ था। इसमें कहा गया है कि इजरायल के लोगों का कनान तक नेतृत्व करते हुए जोशुआ ने सूर्य से प्रार्थना की थी।

इसे भी पढें-पासपोर्ट ताकत में पहली बार एशिया का सिंगापुर टॉप पर, भारत 3 पायदान ऊछलकर 75वें स्थान पर

सूरज, जिबेओं में ठहर गया और चंद्रमा ऐजालों की घाटी में रुक गया। सूरज और चंद्रमा तब तक रुके रहे जब तक देश अपने शत्रुओं से प्रतिशोध नहीं ले लिया। ब्रिटेन स्थित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कॉलिन हम्फ्रीज ने कहा कि अगर ये शब्द वास्तविक अवलोकन का वर्णन है तो एक बहुत बड़ी खगोलीय घटना होने जा रही थी।

हमारे लिए सवाल यह है कि इन शब्दों का असली मतलब क्या है। हम्फ्रीज ने कहा कि आधुनिक अंग्रेजी अनुवाद के मुताबिक इन शब्दों का मतलब है कि सूरज और चंद्रमा ने घूमना बंद कर दिया था। अधुनिक अंग्रेजी अनुवाद किंग जेम्स के 1611 के अनुवाद का अनुसरण करता है।

इसे भी पढें-विश्व अर्थराइटिस दिवस: जानिए भारत में कितने बढ़े मामले, ये है पूरी रिपोर्ट

उन्होंने कहा, लेकिन मूल हिब्रू शब्दों की तरफ जाने पर हम इस हमने यह निर्धारित किया कि इसका एक वैकल्पिक मतलब यह हो सकता है कि सूरज और चंद्रमा ने वह करना बंद कर दिया जो आम तौर वह करते हैं। अर्थात उन्होंने चमकना बंद कर दिया।

उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में हिब्रू शब्द सूर्यग्रहण की तरफ इशारा कर रहा है जब चंद्रमा सूरज और धरती के बीच से निकलता है और ऐसा लगता है कि सूरज ने चमकना बंद कर दिया है। हम्फ्रीज ने बताया, इसके मतलब को इस बात से बल मिलता है कि हिब्रू में अनुवादित स्टैंड स्टिल शब्द का मूल जड़ बेबीलोनियाई शब्द से जुड़ा है जिसका इस्तेमाल ग्रहण को वर्णित करने के लिए प्राचीन खगोलीय विषयों में होता है।

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि स्वतंत्र साक्ष्य है कि इजरायली ईसा पूर्व 1500 से 1050 के बीच कनान में थे। यह बात मिस्र भाषा के एक शिलालेख मर्नेप्ताह स्टेले में है। यह मिस्र के फिरऔन रमेसेस द ग्रेट के बेटे मर्नेप्ताह से संबंधित है।

इसे भी पढें-फोर्ब्स अरबपति लिस्ट: ट्रंप 92 रैंक फिसले, बिल गेट्स लगातार 24वी बार पहले स्थान पर

मिस्र की राजधानी काहिरा के एक संग्रहालय में जो ग्रेनाईट का बड़ा ब्लॉक है उसके अनुसार यह मार्नेप्ताह के शासनकाल के पांचवे साल में बनाया गया है और इसमें कनान की लड़ाई का जिक्र है जहां उन्होंने इजरायल के लोगों को हराया था।

नहीं मिली थी सफलता

इससे पहले इतिहासकार इन दोनों विषयों का इस्तेमाल ग्रहण के संभावित तारीखों का पता लगाने के लिए करते थे। इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली क्योंकि वह पूर्ण सूर्यग्रहण को खोज रहे थे जिसमें सूरज को चंद्रमा पूरी तरह ढक लेता है।

उन्होंने बताया, वह वलयाकार ग्रहण पर विचार करने में सफल नहीं रहे जिसमें चंद्रमा सीधे सूरज के सामने से गुजरता है। इसमें वह सूरज की गोलाई को पूरी तरह ढकने से काफी दूर रहता है और ऐसा लगता है कि सूरज अग्निवलय बन गया।

30 अक्टूबर को दोपहर

अनुसंधानकर्ताओं ने ग्रहण के एक नए कोड को विकसित किया। उनकी गणना के अनुसार उन्होंने पाया कि कनान में 1500 से 1050 ईसा पूर्व केवल वलयाकार ग्रहण दिखा था। यह ईसा पूर्व 1207 में 30 अक्टूबर को दोपहर हुआ था। अगर उनका तर्क स्वीकार कर लिया जाता है तो यह न केवल सबसे पुराना दर्ज सूर्यग्रहण होगा बल्कि इससे रामेसेस द ग्रेट और उनके बेटे मर्नेप्ताह के शासनकाल का भी एक साल के भीतर पता लगाने में सफलता मिलेगी।

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App

और पढ़ें
Next Story