- जम्मू कश्मीर के पुलवामा में एनकाउंटर के दौरान जैश का आतंकी ढेर
- Delhi Air Pollution: दिल्ली में वायु प्रदूषण हुआ कम, लोधी रोड में 217 रिकॉर्ड हुआ AQI
- भारत ने अग्नि-2 बैलिस्टिक मिसाइल का किया सफल परीक्षण
- Breaking: गोवा में MiG-29K फाइटर एयरक्राफ्ट क्रैश, दोनों पायलट सुरक्षित
- महाराष्ट्र: राफेल पर राहुल गांधी से माफी मांगने को लेकर मुंबई में भाजपा का विरोध प्रदर्शन
- Ayodhya Verdict Live: 15 दिनों के अंदर होगी सुन्नी बोर्ड की बैठक, रामलला के मुख्य पुजारी के घर की सुरक्षा बढ़ी
- Delhi Air Pollution: दिल्ली में फिर बढ़ा प्रदूषण, जानें आज कितना है AQI
- भीमा कोरेगांव विवाद: पुणे कोर्ट से सभी आरोपियों को दिया बड़ा झटका, जमानत याचिका की खारिज
- महाराष्ट्र: मातोश्री के बाहर शिवसेना नेता ने लगाए पोस्टर, लिखा- 'मेरा विधायक, मेरा मुख्यमंत्री'
- Delhi Air Pollution: दिल्ली में वायु प्रदूषण से मिली थोड़ी राहत, AQI में आई थोड़ी सी गिरावट
बजट 2018ः वित्त मंत्री अरुण जेटली के सामने होंगी ये बड़ी चुनौतियां
वित्त मंत्री अरुण जेटली आज अपना पिटारा खोलेंगे। अरुण जेटली संसद में 11 बजे बजट भाषण पढ़ेंगे। बजट पेश करने के दौरान उनके सामने कई सारी चुनौतियां होंगी।

वित्त मंत्री अरुण जेटली आज अपना पिटारा खोलेंगे। अरुण जेटली संसद में 11 बजे बजट भाषण पढ़ेंगे। बजट पेश करने के दौरान उनके सामने कई सारी चुनौतियां होंगी। अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। ऐसे में उन्हें वित्तीय अनुशासन के मोर्चे पर भी कड़ी मशक्कत करनी होगी।
इसे भी पढ़ेंः बजट 2018: लोकलुभावन कदमों की उम्मीदों और राजकोषीय लक्ष्यों के बीच तालमेल बिठाने की चुनौती
इतना ही नहीं जब 11 बजे जेटली अपना बजट भाषण पढ़ रहे होंगे तब एफआईआई भी फिजिकल डेफिसिट का आंकड़ा सुनने को बेचैन होंगे। यह वित्त मंत्री का चौथा पूर्णकालिक बजट होगा। इस बजट को पेश करने में जेटली के सामने नीचे दी गई चुनौतियों होंगी...
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती
नोटबंदी के असर देश की जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट आएगी यह आशंका सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और तमाम रिसर्च फर्म जता चुकी हैं। अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाने के लिए सरकार को मशक्कत करनी पड़ेगी, जिसके रोडमैप की झलक दिखाने की चुनौती वित्त मंत्री पर बजट के दौरान होगी।
ऐसे में अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए सरकार बजट में पब्लिक स्पेंडिग (सरकारी खर्च) पर सरकार का फोकस रह सकता है। बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, कृषि आदि सेक्टर्स के लिए सरकार घोषणाएं कर सकती है।
वित्तीय अनुशासन का दवाब
वित्त मंत्री अरुण जेटली के सामने दूसरी बड़ी चुनौती भारी सरकारी खर्च के बीच फिस्कल डेफेसिट (राजकोषीय घाटे) को काबू करने की होगी। सरकार का राजकोषीय प्रबंधन और रिफॉर्म की दिशा में उठे कदमों पर ही भारत की रेटिंग निर्भर करेगी।
तीनों प्रमुख रेटिंग एजेंसियों एस एंड पी, मूडीज और फिच में केवल मूडीज की रेटिंग सकारात्मक आउटलुक के साथ है। बाकी दोनों की रेटिंग स्थिर आउटलुक वाली हैं। एस एंड पी और फिच दोनों की रेटिंग स्टेबल आउटलुक के साथ बीबीबी- है। मूडीज की रेटिंग एक स्तर ऊपर पॉजिटिव आउटलुक के साथ बीएए है।
उपभोग बढ़ाने पर जोर
नोटबंदी के बाद प्रभावित हुई खपत को वापस दुरुस्त करना वित्त मंत्री की अगली बड़ी चुनौती होगी। यूनिवर्सल इंकम स्कीम, मनरेगा का बजट बढ़ाना, इंकम टैक्स स्लैब में बदलाव आदि रास्तों से वित्त मंत्री सीधे जनता के खाते में पैसा पहुंचाने का प्रयास करेंगे, जिससे उपभोग को बढाया जा सके। उपभोग में इजाफे के रास्ते वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था में मांग उत्पन्न करने का प्रयास करेंगे।
सोशल सर्विस और जॉब्स बढ़ाने की चुनौती
बजट में सरकार का फोकल शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ साथ नौकरी बढ़ाने पर होगा। यह वित्त मंत्री के लिए दोहरी चुनौती होगी। एक ओर सरकार को खर्चों पर नियंत्रण रखना होगा वहीं दूसरी ओर बजट के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड समेत देश के पांच राज्यों में चुनाव होंगे।
ऐसे में बजट में अप्रत्यक्ष रूप से वित्त मंत्री पर जनता को लुभाने की कोशिश भी इस रास्ते कर सकते हैं। जिससे चुनाव नतीजें में फायदा हो सके। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बजट को चुनावों के बाद पेश करने की अपील कर चुके हैं। जबकि इससे पहले तमाम राजनीतिक पार्टिंयों ने भी चुनाव आयोग से बजट की तारीख को लेकर आपत्ति जताई थी।
चुनाव आयोग ने भी सरकार को नसीहत दी है कि चुनाव वाले राज्यों से जुड़ी घोषणाएं बजट में न की जाएं। ऐसे में वित्त मंत्री की यह चुनौती और बड़ी हो जाती है।
जीएसटी से पहले का बजट
देशभर में जीएसटी लागू करने की नई डेडलाइन 1 जुलाई तय की गई है। यदि 1 जुलाई से नया टैक्स कानून लागू हो जाता है तो बजट के दौरान अप्रत्यक्ष करों से जुड़ी घोषणाओं का असर महज 3 महीने होगा। ऐसे में अप्रत्यक्ष कर संग्रह से सरकार को वित्त वर्ष के दौरान कितना राजस्व मिलेगा इसका अनुमान लगाना वित्त मंत्री के लिए बड़ी चुनौती होगी।